राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल की ओर से समय पर परीक्षा नहीं होने से स्टूडेंट्स को काफी नुकसान हो रहा है। इससे पहले पैरामेडिकल काउंसिल इन छात्रों की काउंसलिंग में ही लंबा समय लगा चुकी है।
सत्र 2020-21 में दो साल की अवधि के विभिन्न पैरामेडिकल कोर्सेज में 6 हजार से ज्यादा छात्रों ने एडमिशन लिया था।
हर साल 8 हजार से ज्यादा सीटों पर प्रवेश
काउंसिल की ओर से हर साल डिप्लोमा इन मेडिकल लैब टेक्निशियन, रेडिएशन, ऑफ्थेल्मिक, ब्लड बैंक, डायलिसिस, ऑपरेशन थिएटर, कैथ लैब, ईईजी, इमरजेन्सी एंड ट्रोमा केयर और ईसीजी टेक्नोलॉजी जैसे 12 तरह के कोर्सेज में प्रवेश दिया जाता है। इसमें कुल आठ हजार सीट्स हैं।
परीक्षा में देरी होने के कारण स्टूडेंट्स का डिप्लोमा देरी से होगा। वहीं वे सरकारी नौकरियों के अवसर भी चूक जाएंगे। इस देरी के कारण दो साल का डिप्लोमा चार साल की अवधि तक पूरा हो पाएगा।
उधर, काउंसिल के अधिकारियों का दावा है कि पहले से काफी पेंडिंग परीक्षाओं के आवेदन मांगकर परीक्षा तक आयोजित की जा चुकी है।
विशेषज्ञों का कहना है कि काउंसिल की ओर से अगर समय पर परीक्षा आयोजित होने पर राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान की ओर से सहायक रेडियोग्राफर, लैब टेक्निशियन जैसे पदों पर भर्ती के लिए आवेदन करने के लिए पात्र हो जाते, लेकिन अब ये वंचित रहेंगे। वहीं पढ़ाई का शेड्यूल समय पर होने से ये सरकारी सेवाओं या फिर निजी अस्पतालों में अपनी सेवाएं दे पाते।
ये मुख्य वजह हैं परीक्षाओं में लेटलतीफी होने की
- बार-बार परीक्षा नियंत्रक बदलना।
- सहायक परीक्षा नियंत्रक का नहीं होना
- परीक्षा सलाहकार, जूनियर लीगल एडवाइजर, लेखाकार व जूनियर एकाउंटेंट, सूचना सहायक, कंप्यूटर ऑपरेटर, जूनियर व सीनियर असिस्टेंट के पद रिक्त
- स्थाई स्टाफ की जगह संविदा पर कार्यरत कर्मचारी को नियुक्त किया जाना।
ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं
पहले से पेंडिंग चल रही परीक्षाएं आयोजित की जा चुकी है।
सत्र 2020-21 में प्रवेश लेने वाले छात्रों की परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। संभवत: इसी माह में ही सैद्वांतिक परीक्षा प्रारंभ कर दी जाएगी। छात्रों का नुकसान नहीं होने देंगे। –डॉ. आरपी मीना, परीक्षा नियंत्रक, राजस्थान पैरामेडिकल काउंसिल