– उपनेता प्रतिपक्ष बनाकर डैमेज कंट्रोल की कवायद
जयपुर, 3 अप्रैल (योगेंद्र भदौरिया) : साढ़े तीन साल राजस्थान भाजपा प्रदेशाध्यक्ष के रूप में काम करने वाले डॉ. सतीश पूनिया को जिस प्रकार विदाई दी गई, उससे जाट समुदाय से लेकर पार्टी के अंदरखाने और संघ नेताओं में खासी नाराजगी है। प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और अन्य नेताओं की संघ नेताओं के साथ हुई बैठक में यह बात खुलकर सामने आई है। इसमें कहा गया है कि बदलाव प्रकृति का नियम है, लेकिन चुनावी साल में अचानक ऐसा कदम उठाना अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। संघ का कहना था कि पहले पूनिया को जिम्मेदारी देते और हटाने की जगह एक्सटेंशन नहीं देने की बात पर जोर दिया जाता तो इसमें सभी का सम्मान बना रहता। संघ नेताओं ने दो टूक कहा कि पूनिया के कार्यकाल को तीन साल हो चुके थे। यदि उनकी जगह किसी की नियुक्ति करनी ही थी तो उनका एक्सटेंशन नहीं होने की बात प्रचारित की जान चाहिए थी, ना की हटाने की। वहीं, जब साढ़े तीन साल प्रदेशाध्यक्ष के रूप में बेहतर काम करने का तोहफा देना था तो पहले उन्हें किसी पद की जिम्मेदारी दी जा सकती थी। इससे पार्टी कार्यकर्ताओं में भी बेहतर मैसेज जाता और जाट समुदाय भी संतुष्ट रहता। आनन-फानन में जो कदम उठाया गया वह चुनावी साल में तो कतई ठीक नहीं है।
संभवत: यही कारण है कि पूनिया को रातों-रात हटाने के तरीके पर जाट समुदाय के कई संगठनों ने नाराजगी जताई थी। संघ की नाराजगी के बाद पार्टी ने आनन-फानन में पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष बनाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश की गई है। सूत्रों की मानें तो आगे भी उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। इसे भाजपा की गुटबाजी ही कहेंगे कि सांसद एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता और प्रदेशाध्यक्ष के बीच सार्वजनिक मंच पर विरोधाभासी बयान एवं प्रतिक्रियाएं आ रही थीं। इसी के चलते सांसद व वरिष्ठ नेता ने शीर्ष नेतृत्व पर दबाव बनाकर रातों-रात पूनिया की जगह सांसद सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंप दी। पार्टी में अचानक आए इस निर्णय से सभी अचंभित थे।
शेखावाटी में जाट समुदाय का होल्ड
शेखावाटी में 21 विधानसभा सीटें हैं। वर्ष 2018 में यहां से भाजपा के हिस्से में मात्र 3 सीटें ही आईं थीं। इसी के चलते उस समय पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व सौंपकर जाट समुदाय को अपने पाले में करने की रणनीति बनाई गई थी। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी इसी क्षेत्र में सक्रिय होकर जाट समुदाय को मनाने की एक कोशिश है। इन सबका ध्यान रखते हुए पार्टी ने अब पूनिया को उपनेता प्रतिपक्ष बनाकर ड्रेमेज कंट्रोल की कोशिश की है। यदि यह कदम नहीं उठाया जाता तो 2023 में भाजपा को इस क्षेत्र में खासा नुकसान उठाना पड़ सकता था।