भारत को अमरीका, चीन और रूस जैसी महाशक्ति नहीं बनना : मोहन भागवत आज के विश्व की समस्याओं का समाधान देने वाला बनना है

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साबरकांठा, 23 अप्रैल : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.)के प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को यहां कहा कि विश्वगुरु बनने के लिए भारत को वेदों के ज्ञान और प्राचीन भाषा संस्कृत को प्रोत्साहित करने की
जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति रुढि़वादी नहीं बल्कि समय के साथ बदलती रही है और ऐसी नहीं है जो हमसे यह कहे कि ‘क्या खाना है और क्या नहीं खाना है।’
यहां मुदेती गांव में श्री भगवान याज्ञवलक्य वेदतत्वज्ञान योगाश्रम ट्रस्ट द्वारा आयोजित कार्यक्रम में वेद संस्कृृत ज्ञान गौरव समारंभ में भागवत ने कहा कि भारत का निर्माण वेदों के मूल्यों पर हुआ है, जिनका पीढ़ी दर पीढ़ी अनुसरण किया गया, इसलिए आज के भारत को प्रगति करनी है परंतु अमरीका, चीन और रूस जैसी महाशक्ति नहीं बनना होगा जो शक्ति का इस्तेमाल करते हैं।
हमें एक ऐसा देश बनना है जो आज के विश्व की समस्याओं का समाधान दे सके। हमें एक ऐसा देश बनना है जो विश्व को सही व्यवहार सेे शांति, प्रेम और समृद्धि का पथ दिखा सके। उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसा देश है जो धर्म का प्रचार-प्रसार करने, हर किसी को एकजुट करने और एक विश्व गुरु बनने में विश्वास रखता है। विजय का अर्थ धर्म विजय है। उन्होंने दावा किया कि यही कारण है कि वेदों के ज्ञान या वैदिक संस्कृति को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
यह सारा ज्ञान संस्कृत में है इसलिए संस्कृत को महत्व देना जरूरी है। यदि हम अपनी
मातृभाषा में बोलना जानते हैं तो हम 40 प्रतिशत संस्कृत सीख सकते हैं।

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