पिछले 27 साल में मौजूदा सरकार समेत 4 सरकारों की 11वीं बार ये कोशिश है महिला आरक्षण विधेयक पारित कराने की। मोदी सरकार ने नए संसद भवन की पहली कार्यवाही में मंगलवार को ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पेश किया। ये बिल कैसे पारित होगा, कब से लागू होगा, कितने दिनों के लिए है, किन सीटों पर होगा; जैसे जरूरी सवालों के जवाब भास्कर एक्सप्लेनर में जानेंगे…
1. महिला आरक्षण के लिए पेश विधेयक का नाम क्या है?
महिला आरक्षण के लिए पेश विधेयक का नाम ‘128वां संविधान संशोधन विधेयक 2023’ है, जिसे मोदी सरकार ने ‘नारी शक्ति वंदन विधेयक’ नाम दिया है।
इस विधेयक में कहा गया है कि लोकसभा और 31 विधानसभाओं की ‘यथांसभव एक तिहाई’ सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो होगीं। यानी अगर लोकसभा में 543 सीटें हैं, तो इनमें से 181 महिलाओं के लिए आरक्षित होंगी। इन सीटों पर सिर्फ महिला उम्मीदवार ही चुनाव लड़ सकती हैं।
2. क्या संसद में बिल पारित होने से सभी राज्यों की विधानसभाओं में भी यह लागू हो जाएगा?
हां होगा, लेकिन इसके लिए एक और प्रक्रिया से गुजरना होगा।। चूंकि ये संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए इसे पारित करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता के मुताबिक चूंकि विधानसभा सीटों में भी बदलाव होगा, ऐसे में आधे से ज्यादा राज्यों की सहमति भी जरूरी होगी। अगर सभी राज्यों की विधानसभा प्रभावित हो रही है तो उस राज्य की विधानसभा भी सरकार से मांग कर सकती है कि हमारी सहमति भी लीजिए।
3. क्या ये आरक्षण राज्यसभा और विधानपरिषदों में भी लागू होगा?
नहीं, ये कानून राज्यसभा और सभी 6 विधानपरिषदों में लागू नहीं होगा। इस विधेयक में लोकसभा, विधानसभा और दिल्ली एनसीटी शामिल है। बिल में कहा गया है कि ये सिर्फ प्रत्यक्ष चुनाव में लागू होगा। जबकि विधान परिषद और राज्यसभा के प्रतिनिधियों को जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं चुनती।
4. क्या महिला आरक्षण आगामी 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव और 2024 के लोकसभा चुनाव में लागू हो पाएगा?
नारी शक्ति वंदन विधेयक के मुताबिक लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई रिजर्वेशन डिलिमिटेशन यानी परिसीमन के बाद ही लागू होगा। विधेयक पारित होने के बाद जो भी पहली जनगणना होगी, उसके आधार पर परिसीमन होगा।
विराग गुप्ता के मुताबिक 2024 के आम चुनाव के पहले जनगणना और परिसीमन कराना लगभग असंभव है। इससे साफ है कि अगर विधानसभा और लोकसभा के चुनाव समय पर हुए तो इस बार आरक्षण लागू नहीं होगा।
5. क्या महिला आरक्षण हमेशा के लिए है?
लोकसभा और विधानसभाओं में यह कानून जब लागू हो जाएगा, उसके बाद के 15 साल अमल में रहेगा। उससे आगे रिजर्वेशन जारी रखने के लिए फिर से बिल लाना होगा और मौजूदा प्रक्रियाओं के तहत उसे पास कराना होगा। अगर 15 साल के बाद उस समय की सरकार नया बिल नहीं लाती है तो ये कानून अपने आप खत्म हो जाएगा।
6. क्या एससी-एसटी महिलाओं को अलग से आरक्षण मिलेगा?
नहीं। एससी-एसटी महिलाओं के लिए आरक्षण एससी-एसटी कोटे से ही मिलेगा। इसे उदाहरण से समझिए… इस वक्त लोकसभा में एससी-एसटी के लिए आरक्षित सीटों की संख्या 131 है। महिला आरक्षण लागू होने के बाद इनमें से एक तिहाई यानी 44 सीटें एससी-एसटी महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। बाकी 87 सीटों पर महिला-पुरुष कोई भी लड़ सकता है।
7. क्या ओबीसी महिलाओं को अलग से आरक्षण मिलेगा?
नहीं, इस विधेयक में ओबीसी महिलाओं के लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं किया गया है।
8. कौन-सी सीटों को महिलाओं के लिए रिजर्व किया गया है, ये कैसे तय होगा?
इसके 3 स्टेप्स होंगे… पहले ये बिल पारित होगा। इसके बाद जनगणना और फिर परिसीमन होगा। परिसीमन के बाद तय होगा कि कौन सी सीट महिलाओं के लिए आरक्षित होगी। सीटों का चुनाव रैंडम हो सकता है और महिलाओं की जनसंख्या के आधार पर भी हो सकता है। चूंकि ज्यादातर सीटों पर महिला-पुरुषों का रेशियो लगभग बराबर होता है, इसलिए आरक्षित सीटें रैंडम चुनने की संभावना ज्यादा है। अगली बार के लिए महिला आरक्षण रोटेशन के आधार पर किया जाएगा।
इसे एक उदाहरण से समझिए- अभी लोकसभा में 543 सीटें हैं। महिला आरक्षण बिल लागू होने के बाद इनमें से एक तिहाई यानी 181 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी। रोटेशन सिस्टम के बाद हर अगले चुनाव में 181 सीटें बदल जाएंगी।
यानी 181 महिला सांसदों का टिकट कट जाएगा या वे अपनी मौजूदा सीट से चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। इसी तरह पिछले चुनाव की अनरिजर्व्ड 362 सीटों में से 181 सांसद चुनाव नहीं लड़ पाएंगे या उनकी सीट बदल जाएगी। इसका मतलब है कि हर चुनाव में 362 सांसदों का या तो टिकट कट जाएगा या उनकी सीटें बदल जाएंगी।
9. क्या एक महिला महिलाओं के लिए आरक्षित एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ सकती है?
नहीं। अगर कोई महिला, महिला आरक्षित सीट से चुनाव लड़ रही है तो वो दूसरी महिला आरक्षित सीट से चुनाव नहीं लड़ सकती। वो एक आरक्षित और एक अनारक्षित सीट पर चुनाव लड़ पाएगी या नहीं, इसका जिक्र विधेयक में नहीं है।
10. क्या मौजूदा लोकसभा और विधानसभाओं पर इस बिल का कोई असर पड़ेगा?
नहीं। मौजूदा लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं पर इस विधेयक का कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी अभी जितने सांसद या विधायक हैं, उनकी संख्या में बदलाव नहीं होगा।
11. क्या रिजर्वेशन बिल लागू होने के बाद महिलाएं केवल आरक्षित सीटों से ही चुनाव लड़ पाएंगी?
नहीं। लोकसभा की 543 सीटों में से 181 पर तो महिला ही चुनाव लड़ेंगी। बाकी बची हुई सीटों पर हर वर्ग की महिलाएं चुनाव लड़ सकेंगी, वैसे ही जैसे अभी लड़ती हैं।