गेहूं की नई और उन्नत किस्में अब किसानों तक पहुंचेगी
उदयपुर, 29 अगस्त(ब्यूरो): करनाल में जन्मी प्रेमा, मंजरी, वैदेही, वृंदा और वरूणा इस बार देश भर के खेतों में नर्तन करेगी तो बिलासपुर की विद्या भी किसानों के खेतों में इठलाएगी। चौकिए नहीं, ये नृत्यांगना नहीं, बल्कि गेहूं की नई और उन्नत किस्में हैं, जिन्हें कृषि विज्ञानी एक दशक से मेहनत के बाद उपजा सके और अब यह खेतों तक पहुंचेगी। उन्नत किस्म के गेहूं के ये बीज मौजूदा बदलते जलवायु चक्र को ध्यान में रखकर तैयार किए गए हैं। कई मानकों पर खरा उतरने के बाद ही इन किस्मों को सार्वजनिक किया गया है।
उदयपुर में चल रही अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान कार्यशाला में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक एवं कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. हिमान्शु पाठक तथा महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक ने गेहूं की इन किस्मों को जारी किया। साथ ही इन्हें ईजाद करने वाले कृषि विज्ञानियों को सम्मानित भी किया।
बताया गया कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय बिलासपुर के डॉ. अजय प्रकाश अग्रवाल ने सीजी 1036— विद्या गेहूं की किस्म तैयार की। इसी तरह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने डीबीडब्ल्यू 3016—प्रेमा, डीबीडब्ल्यू 370—वैदेही, डीबीडब्ल्यू371—वृंदा और डीबीडब्ल्यू 372—वरूणा नाम से गेहूं की उन्नत किस्म तैयार की। इनके ब्रीडर कृषि विज्ञानियों एवं उनकी टीम को यहां उदयपुर में सम्मानित किया गया। जबकि भरतीय कृषि अनुसंधान परिषद नई दिल्ली की तैयार किस्म एचडी 3369—पूसा, एचडी 3411, 3407 जैसी किस्मों को हरी झंडी दी गई। अधारकर अनुसंधान संस्थान पुणे ने भी दो किस्में एमएसीएस 6768 एवं 4100 की नई किस्मों के अनुमोदन किया है। साथ ही पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने भी पीबीडब्ल्यू 833, 872 एवं 826 किस्में जारी की हैं।