सौ रुपये के स्टांप पर करोड़ों की प्रापर्टी की पावर आफ अटार्नी कर उसे बेचने के खेल पर अंकुश लगा दिया गया है। अब रक्त संबंधों को छोड़कर किसी को भी प्रापर्टी बेचने का अधिकार दिया तो रजिस्ट्री के बराबर सात फीसदी स्टांप शुल्क देय होगा।
सौ रुपये के स्टांप पर करोड़ों की प्रापर्टी की पावर आफ अटार्नी कर उसे बेचने के खेल पर अंकुश लगा दिया गया है। अब रक्त संबंधों को छोड़कर किसी को भी प्रापर्टी बेचने का अधिकार दिया तो रजिस्ट्री के बराबर सात फीसदी स्टांप शुल्क देय होगा। संपत्ति की देखरेेख के लिए की गई अटार्नी को स्टांप शुल्क से बाहर रखा गया है। स्टांप व पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने ये जानकारी दी।
रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि गांव से लेकर शहर तक में जमीन सीधे खरीदने के बजाय उसकी पावर आफ अटार्नी कराकर बेचने का खेल डेवलपर जमकर कर रहे हैं। इससे एक तरफ स्टांप व रजिस्ट्री विभाग को राजस्व नुकसान हो रहा था तो दूसरी तरफ भोलेभाले किसानों और शहर के गरीबों के पास आयकर नोटिसें पहुंच रही थीं। उन्होंने बताया कि अकेले पश्चिमी यूपी में दो लाख से ज्यादा पावर आफ अटार्नी पकड़ में आईं, जिसकी आड़ में किसानों के साथ धोखा किया गया। किसानों को जमीन का भुगतान किया लेकिन रजिस्ट्री के बजाय उनके साथ पावर आफ अटार्नी की। फिर उस जमीन को टुकड़ों में बेचकर तीन गुना मुनाफा कमाया और रजिस्ट्री सीधे किसान से करा दी। मोटा मुनाफा कागजों में आते ही आयकर विभाग ने किसानों को नोटिसों भेजना शुरू कर दीं, तब मामला खुला।
रवीन्द्र जायसवाल ने बताया कि इस परिपाटी पर रोक लगाने के लिए अब रक्त संबंधों के बाहर प्रापर्टी बेचने की पावर आफ अटार्नी को रजिस्ट्री के समकक्ष माना जाएगा। इस आधार पर सात फीसदी स्टांप शुल्क देना पड़ेगा। रजिस्ट्री के समान पावर आफ अटार्नी पर स्टांप लगने से शहरों में भी करोड़ों की प्रापर्टी को सौ रुपये के स्टांप पर एग्रीमेंट से बेचने की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी। इसे लागू कर दिया गया है।