12 लाख की घूस लेते दो दिन पहले उदयपुर से पकड़ा था
उदयपुर, 11 मई(ब्यूरो)। यूडीएच अधिकारियों के नाम पर घूस लेते पकड़े गए दलाल लोकेश जैन गुरुवार को जेल भेज दिया गया। उसे उदयपुर की अदालत में पेश किया गया था। रिमांड के दौरान दो दिन हुई पूछताछ से खुलासा हुआ कि उसके यूडीएच के प्रिंसिपल सेक्रेटी कुंजीलाल मीणा, संयुक्त सचिव मनीष गोयल और उदयपुर के मामलों को देखने वाले अधिकारी हरिमोहन मीणा से ही नहीं, बल्कि अन्य कई अधिकारी और कर्मचारियों से संबंध रहे। उसके मोबाइल की चेटिंग तथा वाट्सअप कॉल के सबूत मिले हैं। इनमें भूमि रूपान्तरण संबंधी जमीनों के दस्तावेजों की कॉपी एक—दूसरे को भेजी गई हैं।
वाट्सएप पर लेता था अफसरों से रेट
दलाल लोकेश यूडीएच अधिकारियों से वाट्सएप के माध्यम से जुड़ा रहता था। जैसे ही कोई काम कराने के लिए उनके पास जाता, वह इन्हें जानकारी देता और रेट का पता लगते ही संबंधित व्यक्ति को बता देता। इसमें उसका कमीशन फिक्स था। उदयपुर नगर विकास प्रन्यास के अधिकारियों के साथ भी लोकेश संबंध बनाए हुए था। हालांकि जबसे लोकेश एसीबी पकड़ा गया तब से यूआईटी अधिकारी एवं कर्मचारी उसके संबंध में बात करने से किनारा कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि दो दिन पहले मंगलवार को जयपुर एसीबी की टीम ने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पुष्पेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में उदयपुर के शोभागपुरा स्थित एक अपार्टमेंट से लोकेश जैन को यूडीएच अधिकारियों के नाम 12 लाख रुपए की घूस लेते गिरफ्तार किया था। जिसके बाद अदालत ने उसे दो दिन के पुलिस रिमांड पर एसीबी को सौंपा था। उससे पूछताछ के आधार पर एसीबी ने यूडीएच अधिकारियों के खिलाफ बुधवार रात मामला दर्ज कर लिया था।
दस हजार में करता था नौकरी, पांच साल में बना करोड़पति
यूडीएच अधिकारियों के नाम पर घूस लेने वाला दलाल लोकेश जैन पांच साल पहले शहर के नामी प्रोपर्टी व्यवसायी के यहां महज 10 हजार रुपए महीने पर काम करता था। वहीं काम करते हुए उसके बड़े—बड़े भू—माफिया तथा आईएएस और आरएएस अधिकारियों से संपर्क बन गए और जमीन की खरीद—बेचान और अफसरों से काम कराने के सौदे करने लगा। इन्हीं सौदों की बदौलत महज पांच साल में वह करोड़पति बन गया। उदयपुर के शोभागपुरा स्थित आर्ची अपार्टमेंट में उसने फ्लैट ले लिया और 67.50 लाख रुपए कीमत की महंगी वाल्वो कार सहित कई महंगी लग्जरी कारों का बेड़ा बना लिया।
चार प्रोपटी डीलरों से पार्टनरशिप का भी पता चला
बताया गया कि दलाल लोकेश के चार पार्टनर हैं। चारों प्रोपर्टी डीलर हैं। ये सभी लोकेश से यूआईटी से उन क्षेत्रों की खाली जमीनों के बारे में जानकारी निकालते, जहां की जमीनों की कीमतें बढ़ने वाली होती हैं। बाद में वह अनुसूचित जाति, जनजाति के लोगों की जमीनें बेहद कम दामों में खरीद लेते तथा बाद में 90 ए के लिए आवेदन करते। इसके बाद सामान्य जाति के नाम पर पट्टे जारी करने के लिए प्रपत्र भरवाकर मंजूरी ले लेते।