उदयपुर, 30 मई(ब्यूरो)। उदयपुर जेल डीआईजी कैलाश त्रिवेदी ने सेंट्रल जेल में दस दिन के दौरान जांच के दौरान तीन मोबाइल बरामद होने को गंभीरता से लिया है। उन्होंने इस मामले में स्टाफ की मिलीभगत पर शंका जताई है और उनसे जबाव मांगा है।
डीआईजी त्रिवेदी ने जेल के सुरक्षा सिस्टम पर सवाल उठाते हुए पूछा कि आखिर जेल के अंदर मोबाइल कैसे पहुंच रहे हैं? इसमें किसी की मिलीभगत तो नहीं है। उनसे यह भी पूछा गया है कि क्या मोबाइल अंदर पहुंचाने में जेल के ही किसी स्टाफ की मिलीभगत तो नहीं? जेल डीआईजी ने कहा कि अगर जेल में मोबाइल अंदर पहुंचाने की घटना में जेल का कोई भी स्टाफ लिप्त पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पुलिस बीते 10 दिन में जेल के अंदर से 9 मोबाइल जब्त कर चुकी है। जिसमें 3 मोबाइल दो दिन पहले मिले थे। पिछले सप्ताह एक कैदी से गांजा भी मिला था।
8 साल से जेल में लगे हैं, नहीं कर रहे काम
मिली जानकारी अनुसार 8 साल से राजस्थान की ज्यादातर जेलों में 2जी नेटवर्क के जेमर लगे हैं जो काम नहीं कर रहे। इसलिए मोबाइल अंदर पहुंचाए जा रहे हैं और कैदी उन मोबाइल आसानी से अपना आपराधिक नेटवर्क मजबूत करने में लगे हैं।
होनी चाहिए कड़ी कार्रवाई
जेल में बार—बार कैदियों और बैरकों से मोबाइल मिलने को लेकर पूर्व पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह मिलीभगत का ही मामला है। जेल प्रशासन और पुलिस महज मोबाइल जब्तगी की कार्रवाई करके इतिश्री कर रही है। अभी सुरक्षा के जिम्मेदार अधीक्षक और जेल प्रहरियों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि मोबाइल अंदर पहुंचने में जेल अधीक्षक और जेल प्रहरी पूरी तरह जिम्मेदार है।
हार्डकोर अपराधी जेल में मोबाइल रखते हुए करवा चुका हत्या
बजरंग दल के विभाग संयोजक राजू परमार उर्फ राजू तेली हत्याकांड के तार उदयपुर सेंट्रल जेल से जुड़े हैं। इसकी पुष्टि खुद उदयपुर की पुलिस ने की थी जब हार्डकोर अपराधी दिलीप नाथ के पास जेल में रहते हुए मोबाइल मिला था। इसी मोबाइल के जरिए दिलीप ने अपने गुर्गों के जरिए राजू पर गोलियां चलवा दी थीं। इसके बाद पुलिस ने जेल में तलाश ली थी मोबाइल जब्त किए गए।