दिमाग हमारे शरीर का कंप्यूटर है। इसी से पूरी बॉडी कंट्रोल होती है। कंप्यूटर की तरह दिमाग हर अंग को कमांड देता है और उसी के हिसाब से हर अंग काम करता है।
हमारी बॉडी में ब्रेन का सीधा कनेक्शन स्किन से है क्योंकि यह दोनों बॉडी पार्ट एक ही सेल यानी कोशिका से बने हैं जिसका नाम एक्टोडर्म लेयर है। इसी वजह से दोनों एक जैसा ही रिएक्ट करते हैं। आपने बॉलीवुड की हिट फिल्म ‘जुड़वा’ तो देखी होगी। अगर एक बच्चे को चोट लगती थी तो दर्द दूसरे बच्चे को होता था।
दिमाग और त्वचा का इसी तरह का रिश्ता है। जब दिमाग तनाव में होता है तो इसका सीधा असर स्किन पर दिखने लगता है। यूं तो इसे ‘स्किन स्ट्रेस’ यानी ‘तनाव में त्वचा’ कहा जाता है। इंसान के शरीर में यह तनाव कई तरह की बीमारियों के रूप में दिखता है जैसे- पिंपल्स, एग्जिमा, सोरायसिस और जल्दी आने वालीं झुर्रियां आदि।
जो व्यक्ति हद से ज्यादा टेंशन लेता है, उनकी मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है और उनके शरीर में जिस चीज की कमी होती है, तनाव उस कमी को बढ़ावा देता और बीमारी की वजह बनता है।
स्ट्रेस तोड़ देता है त्वचा का सुरक्षा कवच
दिल्ली के मैक्स मल्टी स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल में डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अजिता बैगई कक्कड़ कहती हैं कि स्किन की 3 लेयर होती हैं- एपिडर्मिस, डर्मिस और हाइपरडर्मिस। एपिडर्मिस त्वचा की बाहरी परत होती है। डर्मिस बीच की परत और हाइपरडर्मिस अंदर की परत होती है।
त्वचा की बाहरी लेयर वातावरण को महसूस कर दिमाग को सिग्नल पहुंचाती है। त्वचा की बाहरी परतों में रिसेप्टर होते हैं। स्किन के इस हिस्से पर स्ट्राटम कोरनियम की लेयर होती है जो त्वचा के सुरक्षा कवच का काम करती है और यही लेयर शरीर को इन्फेक्शन से बचाती है। तनाव होने पर यह रिसेप्टर प्रभावित होते हैं जिससे ‘स्किन बैरियर’ यानी त्वचा का सुरक्षा कवच टूट जाता है।