“आपके पुण्यों का उदय हुआ तब संदीप शर्मा कोटा में कथा लेकर आए, पितृ पक्ष में शिव महापुराण का श्रवण फलदायक है”
“मेरे बाबा के दरबार में सबका खाता है..”
“एक गाय मरती है तो राष्ट्र को त्रासदी भुगतनी पड़ती है”
देव शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन भी उमड़ी भीड़, पं. प्रदीप मिश्रा ने सुनाई पत्रों में लिखी बाबा की महिमा
कोटा, 2 अक्टूबर : देव शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन भी विश्वविख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के मुखारविंद से कथा सुनने के लिए लाखों की भीड़ उमड़ी। कथा का शुभारंभ विधायक संदीप शर्मा तथा गीता शर्मा ने पंडित प्रदीप मिश्रा का अभिनंदन कर किया। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आपके और विधायक संदीप शर्मा के पितरों व पूर्वजों की कृपा हुई होगी। तब कोटा में पितृपक्ष में देव शिव पुराण की कथा हुई है। उन्होंने संदीप शर्मा के बारे में कहा कि वे बहुत सहज और सरल हैं। कोटा वालों ने सावन के महीने में एक लोटा जल चढ़ाया होगा। उसका पुण्य मिला है और संदीप शर्मा के भी पुण्य जागे हैं। तब कोटा में कथा हो रही है। विधायक संदीप शर्मा ने कहा कि गुरु जी के सानिध्य में पूरा कोटा अभिभूत है। पंडित मिश्रा जी का सानिध्य पाकर कोटा में शिव भक्ति का प्राकट्य हो रहा है। विशाल जनसैलाब अपनी श्रद्धा का प्रकटीकरण कर पा रहा है। इस दौरान कथावाचक प्रदीप मिश्रा ने भक्तों द्वारा भेजे गए पत्रों का श्रद्धालुओं के सामने वाचन किया। उन्होंने कहा कि महादेव की भक्ति करें, वही आपका भविष्य तय करेंगे। भगवान शंकर का भजन करें, वे दुनिया का भाग्य लिखने वाले हैं। शिव को पहचानो, शंकर क्या हैं? शिव देने में कमी नहीं रखते, उनकी भक्ति में भी कमी मत रखो। अपनी भक्ति को प्रबल बनाओ, शिव के प्रति अपने भरोसे और विश्वास को दृढ़ करो।
पंडित प्रदीप मिश्रा ने गौ माता की दुर्दशा को लेकर कहा कि आज देश में साढ़े 12 लाख मशीन के कत्लखाने हो गए हैं। सरकारें गायों के लिए बहुत कुछ करती हैं, लेकिन वह गौ माता तक नहीं पहुंचता। यदि गौ माता के लिए कुछ किया होता तो गाएं कचरा खाते सड़क पर नहीं घूमती। उन्होंने कहा कि एक गाय मरती है तो राष्ट्र को त्रासदी भुगतनी पड़ती है। देश में विभिन्न स्थानों पर आने वाली त्रासदियां गौ माता की दुर्दशा का ही परिणाम है। उन्होंने कत्लखानों में गौमाता के साथ होने वाले वीभत्स अत्याचार की करुण गाथा का रुदन स्वर में वर्णन किया।
उन्होंने कहा कि जो मंदिर जाने, शिव पर जल चढ़ाने को लेकर प्रश्न उठाता है। वह हमें सनातन धर्म से हटाकर अन्य धर्म में ले जाने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि शिव की प्रतीक्षा करो, परीक्षा मत लो। शिव महापुराण कथा कल्प वृक्ष है, जो मांगोगे मिलेगा।
उन्होंने भक्तों को “श्री शिवाय नमस्तुभ्यं…” का भी जाप कराया। इस दौरान “मैंने तेरे ही भरोसे बाबा… भोले नाथ दया करना मैं तेरे भरोसे हूं… जितना जिसके भाग्य में होता उतना फल पता है, मेरे बाबा के दरबार में सबका खाता है..” सरीखे भजनों पर भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। भगवान शिव और पार्वती के स्वरूपों ने परस्पर वरमाला पहनाकर कथा का समापन किया। इस अवसर पर नारायण बिरला, हीरालाल नागर, श्याम सुंदर अरोड़ा, अशोक मीणा, रामरतन बेरवा, जगदीश शर्मा, विशाल शर्मा, राकेश जैन सहित कई लोगों ने आरती की।
भीषण गर्मी में भी कम नहीं हुआ उत्साह
पंडित मिश्रा के मुख से कथा सुनने के लिए लोग समय से पहले ही पहुंच गए। खचाखच भरे पंडाल में जगह नहीं मिलने पर भी लोग बाहर बैठकर ही कथा का श्रवण करते रहे। भीषण गर्मी में भी भोले की भक्ति से परिपूर्ण श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ। पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा की कथा सुनने के लिए लोग 9 बजे से पहुंच जाते हैं। कुछ लोग वृद्ध हैं, बीमार हैं, बच्चों को साथ लेकर आए हैं। इस परिसर में इतने दरवाजे हैं कि हर कहीं से आगे बढ़ा दिया जाता है। इतने धक्के खाकर भी श्रद्धालु कथा सुनने के लिए धैर्य से बैठे रहते हैं।
भक्त को किसी दौड़ में शामिल नहीं होना चाहिए
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि भक्ति करने वाला व्यक्ति किसी दौड़ में शामिल नहीं होता है। कोई एक व्रत करता है तो उसे सुनकर दूसरा 11 व्रत करके सफल नहीं हो सकता। दिखावे की दौड़ से दूर रहोगे तो सुखी रहोगे। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति सवा लाख बिल्व पत्र चढ़ाकर शिव को खुश नहीं कर सकता। इसके बजाय बिल्वपत्र के सवा लाख पौधे लगाने चाहिए। देवशिव तो एक बिल्वपत्र और एक लोटा जल से ही खुश हो जाते हैं।
बच्चों को कार नहीं संस्कार दें
पंडित मिश्रा ने कथा के दौरान कहा कि अपने बच्चों को कार नहीं संस्कार देना चाहिए। संस्कार आ गए तो वह कार की लाइन लगा देगा। उन्होंने कहा कि संस्कार बुजुर्ग देते हैं, लेकिन दादी को मोबाइल से और पोते को पढ़ाई से फुर्सत नहीं है। बुजुर्ग बच्चों को प्रहलाद, नरसिंह, ध्रुव कर्माबाई की कथा सुनाकर ही संस्कार दे सकते हैं। उन्होंने पूछा कि भक्तों में कौन है, जो बच्चों को तुकाराम, नामदेव, मीराबाई, कर्माबाई, परहंस बनाना चाहता है। हर कोई अपने बच्चों को एसपी, कलेक्टर, इंजीनियर, डॉक्टर बनना चाहते हैं। बच्चों को कुछ भी बनाओ पर इतना तो संस्कारी बनाओ कि बुढ़ापे में एक गिलास पानी पिला दे।
पत्रों में दिखी बाबा की महिमा
बाबा की महिमा गाते हुए पंडित प्रदीप मिश्रा को मिले विभिन्न पत्रों का वाचन भी कथा के दौरान मंच से किया गया। उन्होंने बताया कि कुन्हाड़ी की शिल्पा ने बताया कि सरकारी नौकरी के लिए प्रयास किया, लेकिन नहीं मिली। अब दिसंबर से शिव महापुराण सुन रही हूं, भगवान पशुपतिनाथ के व्रत के बारे में सुना तो अब फल मिल रहा है। अजमेर की मीनू मिश्रा का पत्र पढ़ते हुए उन्होंने बताया कि उनका बच्चा जन्म से विक्षिप्त था। सुनाई भी नहीं देता था। अब कथा सुनने से कानों की आवाज आ गई है। अब जिस दिन वह कथा सुनता है, उसी दिन भोजन करता है। जिस दिन कथा टीवी पर नहीं आती उस दिन अन्न जल भी ग्रहण नहीं करता है। इसी प्रकार बूंदी की निधि गौतम का पत्र भी पढ़ कर सुनाया। जिसमें उन्होंने बताया कि उनके बच्चे की गर्भ में धड़कन नहीं आ रही थी। इसके बाद सीहोर से रुद्राक्ष लाकर जल चढ़ाकर पीना शुरू किया। भगवान शिव पर चढ़ाए हुए बिल पत्र खाना शुरू किया तो तीसरी सोनोग्राफी में ही धड़कन दिखाई देने लगी। अब बच्चे का जन्म हो चुका है और डॉक्टर भी आश्चर्य में है कि वह बिल्कुल स्वस्थ है।