कंपनी ने कांग्रेस को मजबूत करने के दिए सुझाव, लेकिन पहुंच गए भाजपा के पास

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-करोड़ों लेकर सर्वे करने वाली कंपनी का सर्वे उसके कर्मी ने चोरी कर पहुंचाया बीजेपी नेता के पास

जयपुर, 12 अक्टूबर (विशेष संवाददाता) : कर्नाटक में कांग्रेस के लिए काम करने वाली कंपनी को राजस्थान में सीएम की छवि चमकाने एवं पार्टी सर्वे का काम मिला। करोड़ों रुपए की फीस तय हुई और कंपनी ने काम भी कर दिया। यह अलग बात है कि इस सर्वे में कांग्रेस का आंकड़ा 50 पार भी नहीं हो रहा है, तो बीजेपी सवा सौ पार आ रही है। बावजूद इसके कंपनी ने कांग्रेस को मजबूत करने के लिए कई सुझाव दिए। इस पर कांग्रेस अमल कर पाती उसके पहले यह सर्वे डाटा कंपनी के एक कर्मी ने कमल वाले एक नेता को बेचकर अपनी जेब गर्म कर ली। डाटा चोरी होने से अब कांग्रेस में उहापोह की स्थिति है और इसी के चलते टिकट जारी करने में अब खासी परेशानी हो रही है।

अब बीजेपी वाले इससे जहां अति उत्साहित हैं वहीं वह खुद इसके प्रचार-प्रसार में लग गए कि कांग्रेस के सर्वे में जब वह सवा सौ पार हैं, तो जब परिणाम आएगा तो इससे भी बेहतर संख्या कमल की आएगी। हालांकि कंपनी ने कांग्रेस को सुझाव दिए थे कि गुर्जर, ओबीसी, एससी वोट कांग्रेस से दूर हो रहे हैं, लेकिन सामान्य का कुछ ग्राफ बढ़ रहा है। वहीं महिला-यूथ को जोडऩे के लिए योजनाओं को धरातल पर साकार करने के साथ ही मजबूत घोषणा पत्र बनाना होगा। नहीं किया तो 60-70 परसेंट यूथ, महिला वोट कमल को चला जाएगा। चुनाव यदि मोदी वर्सेज गहलोत हुआ तो पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस का जनमत प्रभावित हो सकता है। इसके लिए ईआरसीपी मुद्दे को हवा देनी होगी। 2018 की तुलना में पूर्वी राजस्थान में कांग्रेस की आधी सीट जा सकती है। हालांकि इसकी भरपाई मेवाड़, हाड़ौती से हो सकती है। जयपुर की शहरी सीटों पर कांग्रेस की पकड़ पहले से कमजोर हुई है और बढ़त के लिए मजबूत प्रत्याशी उतारने होंगे। बांसवाड़ा, डूंगरपुर, प्रतापगढ़ में जनजाति के वोटों में कुछ कमी होने की आशंका है। इस पर काम करने की जरूरत है। संभव हो तो गठबंधन किया जाना चाहिए। जाट बाहुल्य क्षेत्र वाली विधानसभा सीटों पर आरएलपी का सहयोग कांग्रेस के लिए फायदे का सौदा हो सकता है। सर्वे के हिसाब से कांगेस को अभी 35 से 45 सीट तो भाजपा 135 से 150 सीट ला सकती है।

प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा से हुआ था विवाद, मामला दिल्ली तक पहुंचा
कंपनी का कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से भी विवाद हुआ था। डोटासरा ने संगठन को लेकर कुछ जानकारी चाही तो कंपनी ने देने से साफ मना कर दिया। यह कहानी दिल्ली तक गई। बताते हैं कि राहुल गांधी भी इस कंपनी से नाखुश थे और कर्नाटक चुनाव में भी इसको काम देने के खिलाफ थे। बावजूद इसके कंपनी ने वहां काम किया और अब राजस्थान में भी कर रही है। हालांकि अब डाटा चोरी होने से कांग्रेस भारी मुसीबत में फंसती नजर आ रही है। करोड़ों खर्च करने के बाद भी अब उनके हाथ खाली हैं।

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