Section 144 CrPC: विरोध प्रदर्शन पर इसकी क्या जरूरत: सुप्रीम कोर्ट

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Section 144 CrPC: झारखंड सरकार ने निशिकांत दुबे, अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी सहित 28 बीजेपी नेताओं के खिलाफ धारा-144 के उल्लंघन के मामले रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

Section 144 CrPC: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को देश भर में विरोध प्रदर्शनों पर अंकुश लगाने के लिए बार-बार धारा-144 (सीआरपीसी) लगाने की अधिकारियों की प्रवृत्ति की आलोचना करते हुए कहा कि इस धारा का दुरुपयोग हो रहा है। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच में झारखंड से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस ओका टिप्पणी की कि कोई भी विरोध प्रदर्शन हो रहा है तो धारा 144 का आदेश जारी कर दिया जाता है। इससे गलत संकेत जाता है। अगर कोई प्रदर्शन करना चाहता है तो धारा 144 लगाने की क्या जरुरत है। देश में धारा 144 का दुरुपयोग किया जा रहा है।

बेंच ने सरकार का तर्क किया खारिज
झारखंड सरकार ने निशिकांत दुबे, अर्जुन मुंडा और बाबूलाल मरांडी सहित 28 बीजेपी नेताओं के खिलाफ धारा-144 के उल्लंघन के मामले रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के वकील ने कहा कि धारा-144 का उल्लंघन कर हुए प्रदर्शन के दौरान हिंसा में सरकारी कर्मचारी, पुलिस अधिकारी और पत्रकार घायल हो गए। इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती। बेंच ने सरकार का तर्क खारिज कर दिया और कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में दखल का कोई आधार नहीं है।

क्या है धारा 144
कार्यपालक मजिस्ट्रेट की ओर से किसी भी दंगे, गड़बड़ी या हिंसा की आशंका में धारा-144 लगाई जाती है। इसके उल्लंघन पर छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। धारा-144 के प्रावधान नई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) में धारा-163 में यथावत रखे गए हैं।

अनुमति के बावजूद लग जाती है धारा
गौरतलब है कि प्रशासन की ओर से विरोध प्रदर्शन की अनुमति के बावजूद अनेक बार ऐहतियात के तौर पर धारा-144 लागू कर दी जाती है। लोकतंत्र में शांतिपूर्वक विरोध प्रदर्शन का सबको अधिकार है।

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