जोधपुर। अपने ही आश्रम की नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के मामले में पिछले करीब दस साल से जोधपुर की सेंट्रल जेल में बंद आसाराम की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आसाराम की जमानत याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि सजा के निलंबन के लिए आसाराम हाईकोर्ट जा सकते है। आसाराम लोअर कोर्ट से लेकर राजस्थान हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में अब तक करीब सोलह बार जमानत के लिए प्रयास कर चुके है। उन्हें सिर्फ फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट प्रकरण में ही एक बार जमानत मिली है। उसमें भी वह जेल से बाहर नहीं आ सकते।
राजस्थान और गुजरात हाईकोर्ट से जमानत लेने में असफल रहे आसाराम अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे खटखटा रहे है। कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट से फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट मामले में आसाराम को जमानत मिली। इसके बाद पॉक्सो एक्ट के मामले में भी जमानत लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से साफ इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अगर ट्रायल कोर्ट द्वारा सजा के खिलाफ उनकी अपील पर शीघ्र सुनवाई नहीं की जाती है तो आसाराम सजा के निलंबन के लिए राजस्थान हाई कोर्ट में याचिका दायर कर सकते हैं।
बता दे कि जोधपुर के ही एससी-एसटी कोर्ट व पॉक्सो कोर्ट ने करीब चार साल तक ट्रायल के बाद आसाराम को सजा सुनाई थी। आसाराम को 25 अप्रैल 2018 को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। उनके दो सेवादारों को भी दोषी मानकर सजा सुनाई गई थी। इसी की अपील जोधपुर हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हाईकोर्ट से भी पहले आसाराम जमानत लेने का प्रयास कर चुके है, लेकिन हर बार खारिज हुई।