Report : Advocate vipul sharma
समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने का अधिकार नहीं,
सुप्रीम कोर्ट ने आज भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया। संविधान पीठ ने चार फैसले सुनाए हैं- जिन्हें क्रमशः सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एसके कौल, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने लिखा है, जस्टिस हिमा कोहली ने जस्टिस भट के विचार से सहमति व्यक्त की है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 के बहुमत से समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने के अधिकार से भी इनकार कर दिया।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस कौल ने माना कि केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) ने अविवाहित और समलैंगिक जोड़ों को गोद लेने से रोकने में अपने अधिकार का उल्लंघन किया है क्योंकि विवाहित जोड़ों और अविवाहित जोड़ों के बीच के अंतरा का CARA के उद्देश्य के साथ कोई उचित संबंध नहीं है, लेकिन पीठ में शामिल अन्य तीन जज इससे सहमत नहीं थे।
पीठ CARA विनियमों पीठ CARA विनियमों के विनियम 5(3) की वैधता पर विचार कर रही थी, जो एडॉप्शन से संबंधित है। यह ध्यान दिया जा सकता है कि विनियम 5 भावी दत्तक माता-पिता के लिए पात्रता मानदंड प्रदान करता है। विनियम 5(3) में कहा गया है कि “किसी जोड़े को तब तक कोई बच्चा गोद नहीं दिया जाएगा जब तक कि रिश्तेदार या सौतेले माता-पिता द्वारा गोद लेने के मामलों को छोड़कर उनके पास कम से कम दो साल का स्थिर वैवाहिक संबंध न हो”।
सीजेआई के फैसले के अनुसार, यह विनियमन संविधान के अनुच्छेद 15 का उल्लंघन था।