शाहपुरा में टिकट का इंतजार, दावेदारों की धड़कन तेज

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भाजपा-कांग्रेस की सूचियों को लेकर चर्चाओं का दौर रहा जारी
शाहपुरा, : नवम्बर माह में सम्पन्न होने जा रहे विधानसभा चुनावों को लेकर लम्बें इंतजार के बाद शनिवार को जारी की गई भाजपा-कांग्रेस सूची में शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र से दोनों ही दलों द्वारा अपने पत्ते नही खोलने से टिकट के लिये बेकरार दावेदारों के दिलों की धड़कन तेज हो गई है वही कार्यकर्ताओं को भी अभी और इंतजार करना पड़ेगा।

विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा द्वारा पूर्व में जारी की गई 41 उम्मीदवारों की सूची के बाद कयास लगाये जा रहे थें कि दुसरी सूची में शाहपुरा क्षेत्र से प्रत्याक्षी की घोषण कर दी जायेगी लेकिन भाजपा द्वारा शनिवार को जारी की गई 83 प्रत्याशियों की दूसरी लिस्ट में भी अपने उम्मीदवार की घोषणा नही की गई वही कांग्रेस द्वारा भी 33 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की गई लेकिन उसने भी अपने उम्मीदवार की घोषणा नही की गई। पहले चर्चा थी कि प्रियंका गांधी के राजस्थान दौरे के बाद शाुक्रवार को देर रात तक आने वाली सूची में प्रत्याक्षी की घोषणा की जायेगी जिसे लेकर सारे दिन चर्चाओं को दौर जारी रहा और समर्थक भी सौशल मीडिया पर अपने अपने उम्मीदवारों का टिकट फाइनल करते रहें। वही भाजपा में दुसरी सूची को लेकर कार्यकर्ता बेसब्री से इंतजार कर रहे थें लेकिन शनिवार को जारी की गई सूची में दोनों ही दलों द्वारा शाहपुरा विधानसभा सीट पर अपने अपने पत्ते नही खोलने से भावी उम्मीदवारों के साथ ही कार्यकर्ताओं के दिलों की धड़कन भी तेज हो गई है।

चर्चाओं का दौर जारी

शाहपुरा विधानसभा क्षेत्र से भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों द्वारा अपने प्रत्याक्षी नही घोषित किये जाने से कार्यकर्ता और उनके समर्थकों का इंतजार और बढ़ गया है। सारे दिन शाहपुरा मनोहरपुर पालिका क्षेत्र सहित गांव-गांव और गली-गली में चाय की थड़ी, होटल व चौपाल लगाकर बेठने वाले लोग अपने अपने उम्मीदवारों की जीत का गणित समझाते रहते है।

भाजपा-कांग्रेस में ये है दावेदार
भाजपा में जहॉ पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राव राजेन्द्र सिंह के अलावा चौथमल सामोता, किरण शर्मा, अमित बड़बड़वाल, रधुवीर भी ताल ठोक रहे है तो कांगेस में पिछली दफा निर्दलीय के रूप में जीत का परचम फहराने वाले आलोक बेनीवाल के अलावा राज्यमंत्री का दर्जा प्राप्त संदीप सिंह चौधरी, मनीष यादव भी ठोस दावेदारी कर रहे है अब देखना यह है कि टिकट की लड़ाई में किसे सफलता मिलती है उसके बाद ही चुनावी रण शुरू होगा।

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