आरयू के 81 प्रोफेसर उतरेंगे चुनावी मैदान में!, यूनिवर्सिटी ने दी एनओसी

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-विधानसभा चुनाव में ड्यूटी लगने से थे नाराज, कहा कि आरयू अधिनियम के तहत चुनावी ड्यूटी लगाना गलत

-राजनैतिक पार्टियों में सक्रिय भूमिका निभाने का नियम है, तो चुनावी ड्यूटी से निष्पक्ष चुनाव पर उठेंगे सवाल

जयपुर, 17 अक्टूबर (विशेष संवाददाता) : राजस्थान यूनिवर्सिटी के 81 सहायक प्रोफेसर भी चुनावी मैदान में उतरेंगे। इन सभी प्रोफेसर ने यूनिवर्सिटी से चुनाव लडऩे की अनुमति मांगते हुए एनओसी जारी करने को लेकर पत्र लिखा था। मंगलवार को आरयू सिंडिकेट की बैठक हुई। इसमें इन सभी सहायक प्रोफेसर को एनओसी प्रदान की गई। हालांकि 70 प्रोफेसर की चुनाव में ड्यूटी लगी थी और उन्होंने आरयू अधिनियम का हवाला देकर इसका विरोध किया था।
कांग्रेस में टिकट को लेकर अंतिम दौर में मीटिंग का दौर चल रहा है और इसी के चलते सिंडिकेट के विधायक सदस्य मीटिंग में नहीं पहुंचे। इसके लिए प्रोफेसरों ने कुलपति को पत्र लिखकर आरयू एक्ट का हवाला देते हुए कहा था कि इस एक्ट में उन्हें विधानसभा चुनाव लडऩे का अधिकार दिया गया है। इसके चलते उन्हें एनओसी जारी की जाए। पहली बार ऐसा अवसर है जब एक साथ इतने अधिक प्रोफेसर ने चुनाव लडऩे के लिए एनओसी मांगी है। इन सभी प्रोफेसर की विधानसभा चुनाव में ड्यूटी लगी थी। जानकार बताते हैं कि यह चुनावी ड्यूटी नहीं करना चाहते और इसी के चलते चुनाव लडऩे की एनओसी लेकर बीच का रास्ता निकाला है। हालांकि कुछ प्रोफेसर अवश्य कुछ राजनैतिक पार्टियों से जुड़े हुए हैं।

आरयू अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार का कहना है कि हमारी चुनाव में ड्यूटी गलत तरीके से लगाई गई थी। इसके चलते एनओसी मांगी गई। रही मेरी बात तो मैं पिलानी से चुनाव लडूंगा। इसके लिए टिकट का जुगाड़ कर रहा हूं। टिकट नहीं मिला तो फिर निर्दलीय चुनाव लडूंगा। वहीं कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने भी कहा था कि चुनाव लडऩे के लिए एनओसी मांगने के आवेदन आए हैं।

इस नियम का दिया हवाला
प्रोफेसरों ने बताया कि आरयू प्रोफेसर की चुनावी कार्य में ड्यूटी नहीं लगाई जा सकती। कारण वे विश्वविद्यालय के अधिनियम 384 ए के के तहत राजनीतिक पार्टियों में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं और चुनाव भी लड़ सकते हैं। ऐसे में उनकी चुनावी ड्यूटी लगाना गलत है। इससे चुनाव की निष्पिक्षता पर भी सवाल खड़े होते हैं।

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