कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने RSS-BJP के साथ नेता प्रतिपक्ष पर बड़ा सियासी हमला बोला है। डोटासरा ने केंद्र और राजस्थान में सरकार बनने पर आरएसएस को निपटाने तक की चुनौती दे दी है। साथ ही नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के पास दो हजार करोड़ की संपत्ति होने का दावा भी कर दिया। डोटासरा रविवार को जयपुर ग्रामीण के कांग्रेस जिलाध्यक्ष गोपाल मीणा के चार्ज संभालने के मौके पर हुए समारोह में बोल रहे थे।
डोटासरा ने कहा- मैं आरएसएस के बारे में पिछले दिनों चूरू के सरदारशहर में कुछ बोल गया। मेरे तीन मोबाइल नंबर है, तीनों पर ढाई-ढाई हजार गालियां आई हुई हैं। यह कहते हैं हम राष्ट्रभक्त हैं, शर्म से डूब मरना चाहिए। मैंने गलत क्या कह दिया? मैंने यही तो कहा था कि आप चुनाव लड़े बिना राज कर रहे हो, पावर इस्तेमाल कर रहे हो।
कांग्रेस की सरकार राजस्थान में आएगी और फिर 2024 में दिल्ली में आएगी तो फिर आरएसएस ढूंढने से मिल जाएगा क्या? इसमें अन्याय क्या कर दिया दिया भाई? अरे, हम तो निपटाएंगे, और चैलेंज देकर निपटाएंगे।डोटासरा ने कहा- मुझे किसी ने कहा कि लक्ष्मणगढ़ में विस्तारक घूम रहे हैं। इनके विस्तारकों को गांव के रास्ते तक तो मिलते नहीं है। क्या करेंगे इनके विस्तारक। असली विस्तारक तो जनता और कार्यकर्ता हैं। विस्तारकों से कुछ नहीं होने वाला है।
राठौड़ के पास 2000 करोड़ की प्रॉपर्टी कैसे हुई?
डोटासरा ने कहा- राजेंद्र राठौड़ क्या है? कभी मूंगफली का ठेला भी लगाया क्या, उनसे पूछिए उन्होंने क्या व्यापार किया? आज उनके पास 2000 करोड़ की प्रॉपर्टी कैसे हुई? सवाल पूछना पड़ेगा। इनमें दम है तो हमारी जांच भी करवा लीजिए, कौन मना कर रहा है? लेकिन हम कहेंगे कि बीजेपी के लोग भ्रष्ट और बेईमान है और देश को गुमराह कर रहे हैं। मुंह छिपाने से काम नहीं चलेगा। हमें इन्हें ठोककर जवाब देना पड़ेगा।
कायर का ठप्पा लगाकर मरना नहीं चाहूंगा
कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष ने कहा- हमारे पास बोलने के अलावा है भी क्या? आदमी को अपना ओरिजिनल स्वभाव नहीं छोड़ना चाहिए। अगर छोड़ दिया तो लोग कहेंगे कि एक को अध्यक्ष बनाया था, पहले तो जोश-जोश में खूब बोला, लेकिन बाद में डर गया। भाई साहब, कायर का ठप्पा लगाकर मरना नहीं चाहूंगा, मरना सबको है एक दिन। मैं तो जब चाहे तब चाहे शहीद होने के लिए तैयार हूं, लेकिन बीजेपी और आरएसएस वालों को फूंक कर जवाब दूंगा। ये झूठे लोग हैं, निकम्मे हैं, फिर भी हम नहीं बोलते। इनके बारे में हमारे नेताओं को बोलना पड़ेगा।