श्रद्धापूर्वक मनाई ऋषि पंचमी, महिलाओं ने किया तर्पण

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बहनों ने भाई की कलाई पर बांधे रक्षा सूत्र, दीर्घायु की कामना की
जोधपुर। शहर में भाद्रपद शुक्ला पंचमी पर बुधवार को विभिन्न समाजों की ओर से सप्त ऋषियों और पूर्वजों के प्रति आस्था व्यक्त करने का पर्व ऋषि पंचमी श्रद्धापूर्वक मनाया गया। वहीं कायस्थ, ब्राह्मण समाज और माहेश्वरी समाज में इस अवसर पर बहनों ने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधे और उनकी दीर्घायु, सुख-समृद्धि की कामना की।
ऋषि पंचमी के अवसर पर आज सुबह से कायस्थ व माहेश्वरी समाज के परिवारों में राखी बांधने का सिलसिला शुरू हो गया। वहीं श्रीमाली व शाकद्विपीय ब्राह्मण समाज की युवतियों व महिलाओं ने चांदपोल के बाहर स्थित भूतेश्वर वनखंड क्षेत्र स्थित मिनका नाडी और प्राचीन पदमसर जलाशय की पाळ पर पहुंच विधि विधान से सप्त ऋषियों, ऋषि पत्नियों के साथ ही ससुराल और पीहर पक्ष की तीन पीढिय़ों के दिवंगत पूर्वजों को याद कर उनके नाम का तर्पण किया। तर्पण के बाद महिलाओं ने नीम, आक, पीपल, बोल्टी और हाटी-काटी जैसे पवित्र वृक्षों का पूजन किया और ऋषि पंचमी से जुड़ी कथाओं का वाचन और श्रवण किया। इसके बाद घरों में बनाए गए मणीचा (बिना बोया धान) की खीर, तुरई-काचरे की सब्जी, केर-सांगरी का रायता व अन्य पकवान का भोग लगाया और परिवार सहित व्रत का पारणा किया। बता दे कि महिलाओं से रजस्वला काल में जाने-अनजाने में हुए स्पर्श के दोष के शमन और पित्तरों की मोक्ष की कामना के लिए यह व्रत किया जाता है। ऋ षि पंचमी के दिन कुंवारी कन्या, सुहागिन या विधवा भी व्रत रखती है। किसी स्त्री के पीहर या ससुराल में एक वर्ष के अन्दर किसी की मृत्यु हुई है तो वे मृत आत्मा के मोक्ष के लिए व्रत का संकल्प कर मृतक के घर का ही भोजन ग्रहण करती है।
इधर ब्राह्मण स्वर्णकार समाज की ओर से बुधवार को ऋषि पंचमी महोत्सव मनाया गया। सोमेश्वर महादेव गोवर्धन तालाब के संयोजक चन्द्रप्रकाश सोनी ने बताया कि ऋषि पंचमी पर सुबह सोमेश्वर महादेव का रुद्राभिषेक किया गया। बाद में पुष्प श्रृंगार व फूलमण्डली की गई। इस अवसर पर विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने वाली समाज की प्रतिभाओं का सम्मान किया गया। सोनी ने बताया कि इस आयोजन की शुरुआत में टिफिन गोठ होती थी। पूर्व में समाज के सभी लोग अपने-अपने घरों से टिफिन लाते थे व सभी साथ बैठकर भोजन करते थे। अब करीब 40 सालों से सामूहिक प्रसादी आयोजित की जाती है, जिसमें जोधपुर में रहने वाले ब्राह्मण स्वर्णकार समाज के सभी लोग भाग लेते हैं।

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