राजस्थान देश का राइट टू हेल्थ बिल लाने वाला पहला राज्य बन चुका है। साथ ही सभी 33 जिलों मेडिकल कालेज देने वाला भी पहला राज्य है। 90 प्रतिशत से ज्यादा आबादी को फ्री स्वास्थ्य बीमा योजना से भी जोड़ने वाला पहला राज्य है।
कोरोना में ढाई गुना मेडिकल आक्सीजन उपलब्ध कराने के प्लांट भी खड़े कर दिए। मेडिकल अफसरों के 4500 सहित करीब 48 हजार पद खाली हैं।
राज्य भौगोलिक दृष्टि से देश का सबसे विषम और बड़ा राज्य है। इसमें 1800 से अधिक गांव, ढाणी आज भी ऐसी हैं, जिसमें हेल्थ सुविधा नहीं हैं।
हालांकि सीएम अशोक गहलोत ने पिछले 2 बजट में 2000 से अधिक नए हेल्थ सेंटर पीएचसी, सीएचसी और सब सेंटर खोलने की घोषणा कर रखी है।
धरातल पर उतरना बाकी है। दूसरी ओर, राजस्थान में करीब 27 विधायकों के क्षेत्र में अभी भी सीएचसी और पीएचसी के लिए सरकारी भवन का निर्माण नहीं हुआ है।
प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग का ढांचा ऐसा…
जिला अस्पताल- 34
सेटेलाइट अस्पताल-06
सब डिविजन अस्पताल-19
सीएचसी-971
हेल्थ वेसनेस सेंटर-492
पीएचसी-2097
सब सेंटर- 14408
ऑक्सीजन प्लांट-506
कोविड अस्पताल-344
मे़डिकल कॉलेज-033
ट्रोमा सेंटर-58
एंबुलेंस 1289
अस्पतालों में 94.9% डिलिवरी
मेडिकल सीटें-4900
(यह आंकड़े चिकित्सा विभाग की ओर से दिए गए हैं)
चिरंजीवी: अब तक 1.39 करोड़ परिवार जोड़े
चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से 1.39 करोड़ परिवारों को जोड़ा जा चुका है। यह करीब 90.6% है। 39.44 लाख लोग योजना का फायदा उठा चुके हैं। 1794 दवाएं योजना में फ्री दी जा रही हैं। योजना में सभी सरकारी अस्पतालों सहित 989 निजी अस्पतालों को जोड़ा गया है।
अभी नई भर्ती हो रही… 18112 पदों पर नर्सिंग व स्वास्थ्य कर्मियों की नर्सिंग आफिसर के 7860, महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता के 3736, फार्मासिस्ट के 2880, सहा. रेडियोग्राफर के 1090 पदों पर भर्ती जारी।
राजस्थान सरकार की कोशिश है कि सभी लोगों तक इलाज की सुविधा मिले। जहां तक इंफ्रस्ट्राक्चर की बात है, तो हम उसे बेहतर करने में जुटे हुए हैं। सरकार ने एमएलए फंड 5 करोड़ रुपए कर दिया है। विधायक चिकित्सा के लिए भवन खुद बनवा सकते हैं। -परसादी लाल, चिकित्सा मंत्री