जयपुर, 7 अप्रैल (ब्यूरो): विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर नई दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए चिकित्सा मंत्री परसादीलाल मीणा ने कहा है कि अभी राइट टू हैल्थ के नियम नहीं बनाए गए हैं और जब नियम बनेंगे तक इसका विरोध करने वाले अस्पताल ही इसका स्वागत करेंगे। मीणा ने कहा कि यह बिल राज्यपाल के पास पहुंच गया है और इसी माह राज्यपाल से मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद मई से स्वास्थ्य का अधिकार राजस्थान में लागू कर दिया जाएगा। इसके नियम लागू होते ही बड़े अस्पतालों को इमरजेंसी की हालत में मरीज का फ्री इलाज करना पड़ेगा। जिन अस्पतालों ने सरकार से मुफ्त या रियायती दर पर जमीन ली है, जो सरकारी सहायता ले रहे हैं। उन बड़े अस्पतालों को तो इमरजेंसी में फ्री इलाज करना ही होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन की भी गाइडलाइन है कि इमरजेंसी की हालत में डॉक्टर को इलाज करना चाहिए। डॉक्टर का प्रोफेशन बहुत नोबल प्रोफेशन माना जाता है।
घोषणा पत्र का वादा किया पूरा :
इस दौैरान चिकित्सा मंत्री ने कहा कि हमने घोषणा पत्र में राइट टू हेल्थ कानून बनाने का वादा किया था, जिसे तमाम विरोध के बाद भी लागू कर दिया है। निजी अस्पताल इसका विरोध करते हुए इस बिल को वापस लेने की मंाग कर रहे थे, पर सरकार ने एक्ट में कोई बदलाव नहीं किया। अब नियम बनाए जाएंगे तो उसमें उनकी बात मानी जाएगी। इसके बाद जिस तरह चिरंजीवी योजना से 1000 प्राइवेट अस्पताल जुड़े हैं, उसी तरह राइट टू हेल्थ से भी जुड़ेंगे। इसमें सरकारी अस्पताल पहले से ही दायरे में हैं। हमारे सरकारी संसाधन बहुत हैं, वे इलाज करेंगे।
बिल का श्रेय राहुल को :
परसादी ने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने चिरंजीवी योजना सहित सरकारी योजनाओं की एग्जीबिशन को देखा था। चिरंजीवी योजना से बहुत प्रभावित हुए थे। राहुल गांधी ने तब पूछा था कि चिरंजीवी योजना के बाद अगला कदम क्या होगा, तब मुख्यमंत्री ने कहा था कि अब हम राइट टू हेल्थ लागू करेंगे। चिरंजीवी योजना में पहले 10 लाख तक का फ्री इलाज होता था। अब राहुल गांधी के कहने पर इसकी सीमा को 25 लाख रुपए किया है।
2023-04-08