जयपुर, 5 जून। राजस्थान हाईकोर्ट ने आरएएस अधिकारी को दी गई 17 सीसीए की चार्जशीट को उसके सेवानिवृत्ति के महज 13 दिन पहले 16 सीसीए में बदलने पर रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने मामले में प्रमुख कार्मिक सचिव ओर विशिष्ट राजस्व सचिव सहित अन्य से जवाब मांगा है। जस्टिस सुदेश बंसल की एकलपीठ ने यह आदेश महावीर प्रसाद की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने वर्ष 2005 में तहसीलदार पद पर रहते हुए एक मामले में वसीयत के आधार पर नामांतरण खोला था। इस आदेश को संभागीय आयुक्त ने भी सही माना था। वहीं विभाग ने इस नामांतरण के आधार पर 16 साल बाद दिसंबर 2021 में उसे 17 सीसीए की चार्जशीट दी। जिसमें जांच अधिकारी नियुक्त किए बिना व्यक्तिगत सुनवाई की जाती है।
ऐसे में सुनवाई के बाद याचिकाकर्ता से आरोपों के संबंध में अभ्यावेदन भी मांग लिया गया। याचिका में कहा गया कि उसकी सेवानिवृत्ति की तिथि 31 मई, 2023 से 13 दिन पहले विभाग ने 18 मई को उसकी चार्जशीट को 16 सीसीए में बदल दिया। याचिका में कहा गया कि उसे 16 साल पहले खोले गए नामांतरण को लेकर आरोप पत्र देना गलत है, जबकि नामांतरण को संभागीय आयुक्त ने सही मान लिया था। वहीं पेंशन नियमों के तहत सेवानिवृत्ति के चार साल पहले के किसी मामले में आरोप पत्र नहीं दिया जा सकता।
याचिका में कहा गया कि 1 7सीसीए के तहत व्यक्तिगत स्तर पर सुनवाई के बाद दोषी पाए जाने पर हल्का दंडादेश दिया जाता है, लेकिन 16 सीसीए के तहत जांच अधिकारी नियुक्त करने के बाद सुनवाई की जाती है और दोषी पाए जाने पर निलंबन सहित अन्य गंभीर दंडादेश दिए जाते हैं। ऐसे में विभाग के आदेश को रद्द किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब करते हुए आरोप पत्र को 17 सीसीए से 16सीसीए में परिवर्तित करने पर रोक लगा दी है।