अयोध्या के राम मंदिर की नई तस्वीरें सामने आई हैं। पहली तस्वीर मंदिर के फर्स्ट फ्लोर के निर्माण की ड्रोन से ली गई है। फर्स्ट फ्लोर पर बन रहे खंभे 10 फीट ऊंचे तैयार हो चुके हैं। इसके बाद छत डाली जानी है।
दूसरी तस्वीर में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर कॉरिडोर को दिखाया गया है। इन दोनों तस्वीरों को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है।
गर्भगृह में सिंहासन पर रामलला विराजमान होंगे
बुधवार को श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय और विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने राम मंदिर के गर्भगृह की छत का वीडियो जारी किया। इसमें दिख रहा है कि रामलला का गर्भगृह बनकर तैयार हो चुका है।
गर्भगृह की दीवारों पर भव्य नक्काशी की गई है। गर्भगृह की छत के बीच बनी नक्काशी के नीचे सिंहासन पर रामलला विराजमान होंगे। जहां रामलला विराजमान होंगे, वहां इस समय झंडा दिख रहा है।
मंदिर निर्माण में राजस्थान और कर्नाटक के पत्थर लगाए जा रहे हैं। डिजाइन के लिए पिंक सैंड स्टोन लगाए गए हैं। मंदिर के गर्भगृह की दीवार और छत बन चुकी है। फर्श और बाहर का काम बाकी है।
ग्राउंड फ्लोर में 166 खंभों पर मूर्तियों को उकेरने का काम चल रहा है। मंदिर के गर्भगृह में लगे 6 खंभे सफेद संगमरमर के हैं, जबकि बाहरी खंभे पिंक सैंडस्टोन से बनाए गए हैं। राम मंदिर डूबते सूरज की रोशनी में दिव्य आभा बिखेर रहा है।
राम नवमी पर होगा भगवान का जन्म उत्सव
साल 2024 में चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को राम नवमी के दिन भगवान का जन्म उत्सव मनाया जाएगा। राम जन्म के समय ठीक दोपहर 12:00 बजे सूर्य की किरणें कुछ देर के लिए रामलला की मूर्ति पर पड़ेंगीं।
इससे जन्म के समय रामलला का दर्शन बहुत ही दिव्य और भव्य होगा। खगोल शास्त्र के लोग इसे लेकर काम कर रहे हैं। भगवान श्री राम के जन्म के समय बहुत तेज धूप होती है। इसके साथ मंद, शीतल हवाएं सरयू के जल को स्पर्श करते हुए भगवान के पास पहुंचती हैं। सरयू में लहरें तेज हो जाती हैं।
25 हजार यात्रियों के लिए बनेगी धर्मशाला और होटल
राम मंदिर ट्र्स्ट के चंपत राय ने बताया, ट्रस्ट ने मंदिर निर्माण के बाद भक्तों की संभावित भीड़ को देखते हुए मंदिर और आसपास यात्री सुविधाओं का निर्माण शुरू कर दिया है। इसमें होटल, रेस्त्रां, डॉरमेट्री और धर्मशाला बनाई जाएगी।
25 हजार यात्रियों के ठहरने और सुविधाओं से जुड़े केंद्र का निर्माण चल रहा है। रामलला तक पहुंचने के लिए 700 मीटर लंबा रास्ता है। इस रास्ते पर फिनिशिंग चल रही है।
इनॉगरेशन के लिए PM से मांगी डेट्स
श्रीराम मंदिर में राम लला की प्रतिष्ठा जनवरी 2024 में होगी। इसके लिए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को औपचारिक न्योता भेज दिया है। ट्रस्ट के सदस्य ने इसकी पुष्टि की है। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में राम मंदिर ट्रस्ट करीब 10 हजार लोगों को आमंत्रण भेजेगा।
राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, हमने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर औपचारिक रूप से न्योता दिया है। इसमें 15 जनवरी से 24 जनवरी 2024 के बीच की डेट्स दी गई हैं, लेकिन असल तारीख का फैसला प्रधानमंत्री ही करेंगे। प्रधानमंत्री को जो चिट्ठी भेजी गई है, उसमें मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास के साइन हैं।
अयोध्या के राम मंदिर में 5 साल के भगवान राम के बालक रूप की मूर्ति लगेगी। गर्भ गृह में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा 15 से 24 जनवरी 2024 के बीच किसी एक दिन की जाएगी। इसी साल, अक्टूबर तक मंदिर के ग्राउंड फ्लोर के काम पूरे कर लिए जाएंगे। फिर सिर्फ फिनिशिंग टच बचेगा। वह दिसंबर तक पूरा हो जाएगा। ये बातें श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने रविवार को कहीं।
उन्होंने कहा- ग्राउंड फ्लोर पर प्रभु श्रीराम पूरे परिवार के साथ विराजेंगे। अभी तक की योजना में सेकेंड फ्लोर में किसी भी प्रतिमा को स्थापित नहीं किया जाएगा। वह केवल मंदिर को ऊंचाई देने के लिए बनाया जाएगा। फिलहाल, अभी तक मंदिर निर्माण में 21 लाख घन फीट ग्रेनाइट, सैंड स्टोन और मार्बल का इस्तेमाल हो रहा है
मंदिर की चौखट मार्बल, किवाड़ महाराष्ट्र के सागौन की
चंपत राय ने बताया,” राम मंदिर की चौखट मार्बल की है। जबकि किवाड़ महाराष्ट्र की सागौन लकड़ी के हैं। उन पर नक्काशी का काम भी शुरू हो चुका है। मंदिर का एक-एक आयाम, एक-एक अंग इस प्रकार से बनाया जा रहा है कि 1 हजार साल तक कुछ भी नहीं होगा। यहां तक कि रिपेयरिंग की जरूरत भी नहीं पड़ेगी।”
राम मंदिर के भूतल का 80% काम पूरा हो गया है। इसमें 162 खंभे बनाए गए हैं। अब इन खंभों में 4500 से ज्यादा मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। इसमें त्रेता युग की झलक दिखाई देगी। इसके लिए केरल-राजस्थान से 40 कारीगर बुलाए गए हैं।
आर्किटेक्ट इंजीनियर अंकुर जैन ने बताया था-हर खंभे को 3 पार्ट में बांटा गया है। हर एक पिलर में 20 से 24 मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। ऊपरी हिस्से में 8 से 12 मूर्तियां बनाई जा रही हैं। बीच के हिस्से में 4 से 8 मूर्ति और नीचे के हिस्से में 4 से 6 मूर्तियां उकेरी जा रही हैं। एक कारीगर को एक पिलर पर मूर्ति बनाने में करीब 200 दिन लगते हैं।