पीड़ित युवक ने बताया कि पुलिस बेवजह उसे उठाकर थाने ले गई और सीसीटीवी बंद करवाकर बर्बरता से पिटाई की। परिजनों ने पुलिस और शराब कारोबारियों में मिलीभगत होने के भी आरोप लगाए।
नागौर में एक बार फिर पुलिस की शर्मनाक हरकत सामने आई है। खींवसर थानाधिकारी पर एक युवक के साथ बेरहमी से मारपीट करने का आरोप लगा है। इतना ही नहीं थानाधिकारी ने युवक के प्राइवेट पार्ट पर करंट के झटके लगा दिए। युवक गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती है। वहीं परिजन न्याय की मांग को लेकर दो दिन से भटक रहे हैं।
परिजन परेशान होकर जिला पुलिस अधीक्षक बंगले के सामने धरने पर बैठ गए। इस दौरान परिजनों ने बताया कि भावण्डा थानाधिकारी सिद्धार्थ प्रजापत ने बिना किसी कारण उनके बेटे को अवैध हिरासत में लेकर बेरहमी से मारपीट की। उनका बेटे को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती करवाया गया। इस दौरान परिजनों ने एसपी से न्याय की मांग करते हुए भावण्डा थानाधिकारी के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की शिकायत की है।
युवक से मारपीट का मामला 4 जनवरी का है। भावण्डा थाना क्षेत्र के माणकपुर निवासी महिपाल पुत्र रामप्रसाद जाट दूध की दुकान पर काम कर रहा था। इस दौरान भावण्डा पुलिस थाने की गाड़ी आई और पुलिसकर्मी महिपाल को जीप में डालकर थाने ले गई। महिपाल ने बताया कि इसके बाद थाना अधिकारी सिद्धार्थ प्रजापत और पुलिस कर्मचारियों ने थाने के सभी सीसीटीवी कैमरे बंद कर मारपीट की और गुप्तांग पर करंट के झटके भी लगाए।
एसपी से न्याय की गुहार
7 जनवरी को जमानत पर जेल से बाहर आए महिपाल ने बताया कि पुलिस ने उनके साथ बेरहमी से पिटाई की। पुलिसवालों ने धमकी देते हुए कहा कि किसी को बताने की कोशिश की तो फिर से जेल में डाल देंगे। जिस पर महिपाल पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचा लेकिन सरकारी अवकाश के चलते वहां उन्हें न्याय नहीं मिला। इसके बाद अस्वस्थ होने और हालत गंभीर होने पर वे जेएलएन अस्पताल पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उन्हें उपचार के लिए भर्ती कर लिया। इसके बाद रविवार को महिपाल के परिजन पहले एसपी कार्यालय और इसके बाद एसपी बंगला के सामने धरने पर बैठ गए।
पुलिस पर मिलीभगत का आरोप
उन्होंने एसपी से उचित न्याय दिलवाने की मांग की लेकिन इसके बाद भी उन्हें यहां से केवल आश्वासन ही मिला। जिस पर परिजनों को भी बैरंग लौटना पड़ा। मजे की बात तो यह है कि उच्च अधिकारियों तक बात पहुंचने के बाद भी युवक का मेडिकल नहीं करवाया गया। जिस पर युवक के परिजनों ने पुलिस पर सवालिया निशान खड़े किए और मिलीभगत के भी आरोप लगाए।
महिपाल ने बताया कि मारपीट के बाद भावण्डा थानाधिकारी ने उसके खिलाफ 10 पेटी शराब का प्रकरण दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी, जबकि वह तो दूध की दुकान पर काम कर रहा था। महिपाल ने बताया कि उनके सामने ही एक पक्ष के कुछ लोगों की थानाधिकारी से बात हुई और गलत तरीके से प्रकरण दर्ज करने का षड्यंत्र भी रचा गया। इस संबंध में उन्होंने पुलिस के शराब कारोबारियों से मिलीभगत होने के भी आरोप लगाए।