आचार संहिता लगते ही रिलैक्स मूंड में पुलिस अलर्ट ,नशा तस्कर व हवाला कारोबारियों पर रहेगी नजर

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जयपुर, 9 अक्टूबर (ब्यूरो): राजस्थान विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित होने से लगी आदर्श आचार संहिता के चलते रिलैक्स मूंड में आई पुलिस अलर्ट मोड पर आ गई है। पुलिस मुख्यालय और सचिवालय में पुलिस-प्रशासन के उच्चाधिकारियों की बैठकों का दौर चला। आचार संहिता लगते ही सरकारी अमला खुद को दबाव और तनाव मुक्त मानकर अलर्ट मोड़ पर समझने लगा है। पुलिस ने भी अब चुनावों में धांधली और मतदाताओं को रिझाने के लिए तमाम प्रलोभनों का खाका तैयार कर शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। खासतौर पर हवाला कारोबारियों के साथ तस्करी कर शराब भण्डारण से लेकर अन्य नशा तस्करों को राडार पर लिया जा रहा है।
साइलेंट मोड़ पर मोबाइल
जानकारी के अनुसार सोमवार को चुनाव आचार संहिता की पूरी संभावनाओं के चलते राजनेताओं ने अपनी पसंद के अधिकारी-कर्मचारी लगाने में ऐडी से चोटी का दम लगाया। पुलिस महकमें भी तबादलों की डिजायर और भारी सिफारिशों से भरे फोन घनघनाते रहे। हालात ऐसे थे कि अफसरों ने फोन साइलेंट मोड़ पर डाल दिए। कुछ दिन पहले रसूखदार और राजनेताओं के फोन पर सावधान की मुद्रा में खड़े होने वाले अधिकारियों ने फोन का नो रिप्लाई किया तो दबी जुबां से आचार संहिता को भी कोसा गया।

फ्लाइंग रखेगी नजर
अक्सर चुनावी मैदान में हाथ आजमाने वाले प्रत्याशी अपने मतदाताओं को धन, बल और नशाखोरी के दम पर रिझाने का प्रयास करते हैं। कई बार बाहुबल का भी उपयोग किया जाता रहा है, मगर इस बार पुलिस ने खास रणनीति तैयार की है। पुलिस के साथ ही अलग से फ्लाइंग दस्ते तैयार किए जा रहे हैं, जो हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखेंगे। खासतौर पर हवाला के जरिए इधर-उधर होने वाली मोटी रकम और नशे की खेप पर पाबंदी लगाने की कवायद शुरू कर दी है। पीएचक्यू में राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों के हॉर्डकोर क्रिमीनलों का भी खाका तैयार किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि कहीं-कहीं चुनावों में मतदाताओं को डराने और प्रतिद्वंद्वी पर प्रभाव जमाने के लिए बदमाशी बीच में आती है, जिसे इस बार पूरी तरह पंगू बनाया जाएगा।

खुशियां बचानी हैं तो सावधान रहें
बताते चलें कि मतदान 23 नवम्बर को होगा और इसी दिन देवउठनी ग्यारस पर पहला अबूझ सावा है। इस सावे पर बड़े पैमाने पर ग्रामीण इलाकों में शादियां होती हैं। शादियों में व्यवस्तता के चलते मतदान के प्रतिशत पर भी असर पड़ सकता है। गौरतलब है कि ग्र्रामीण इलाकों में ज्यादातर पैसे का लेन-देन भी नकद होता और शादियों के लिए परिचित व रिश्तेदारों से भी पैसे उधार लिए जाते हैं। दूसरी ओर चुनावों के चलते पुलिस भी अलर्ट रहेगी और ऐसे में शादी की तैयारियों के लिए लाया-ले जाना वाला पैसा अगर जप्त हुआ तो खुशियां काफूर होना तय है।

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