रेलवे स्टेशन पर अव्यवस्थाओं को लेकर न्यायमित्र ने पेश की रिपोर्ट, राज्य सरकार से भी मांगा जवाब

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जयपुर, 18 अगस्त। राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर और उदयपुर रेलवे स्टेशन सहित उदयपुर जाने वाली ट्रेन में अव्यवस्थाओं के मामले में राज्य सरकार से भी जवाब मांगा है। सीजे एजी मसीह और जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए। पूर्व में हाईकोर्ट ने रेलवे से जवाब तलब करते हुए प्रकरण में न्याय मित्र की नियुक्ति की थी।

सुनवाई के दौरान रेलवे की ओर से अधिवक्ता मंजीत कौर ने जवाब पेश करने के लिए समय मांगा। उनकी ओर से कहा गया कि रेलवे प्रशासन रेलवे स्टेशन व रेल यात्रा के दौरान होने वाली समस्याओं के समाधान पर ही काम कर सकती है। स्टेशन के बाहर वेंडर्स और ट्रैफिक जाम आदि का काम रेलवे प्रशासन का नहीं है।

इस पर अदालत ने राज्य सरकार को पक्षकार बनाते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।

वहीं न्यायमित्र अधिवक्ता माही यादव की ओर से विस्तृत रिपोर्ट पेश की गई। रिपोर्ट में बताया गया कि रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा की भारी कमी है। सुरक्षा के अभाव में स्टेशन पर आए दिन चोरियां हो रही हैं। वहीं अनाधिकृत वेंडर भी स्टेशन पर अधिक दरों पर सामान बेच रहे हैं। वहीं स्टेशन पर वेटिंग रूम का अभाव है और कई वेंडिंग मशीन पर ताले लगे हुए हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि रेलवे ने ट्रेन में खानपान व अन्य व्यवस्था ठेके पर दे रखी हैं। ऐसे में सफाईकर्मी सामान बेचने का काम कर रहे हैं। इनकी मॉनिटरिंग की भी कोई व्यवस्था नहीं है। वहीं ऑनलाइन शिकायत करने की भी कोई प्रभावी मैकेनिज्म नहीं है। यात्रा के दौरान चोरी की घटनाएं भी आम बात है।

इस पर अदालत ने कहा कि जनता परेशान हो रही है। ऐसे में केन्द्र और राज्य सरकार को समस्या का समाधान निकालना चाहिए। रेलवे स्टेशन के साथ-साथ बस स्टेंड आदि पर भी ट्रैफिक जाम व अवैध वेंडर्स की समस्या है।

गौरतलब है कि गत 12 जून को हाईकोर्ट जज सुदेश बंसल जयपुर से ट्रेन के जरिए उदयपुर गए थे। इस दौरान उन्हें स्टेशन और ट्रेन में कई अव्यवस्थाएं मिली थी। इस पर उन्होंने स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेते हुए मामले को सुनवाई के लिए खंडपीठ में भेजा था।

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