Rahul Gandhi की नागरिकता की CBI जांच की मांग वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित :इलाहाबाद हाईकोर्ट

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस (Congress) नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की कथित ब्रिटिश नागरिकता की CBI जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई स्थगित कर दी।

डिप्टी-सॉलिसिटर जनरल सूर्यभान पांडे ने गांधी की नागरिकता रद्द करने की मांग करने वाली अभ्यावेदन-सह-शिकायत की स्थिति के बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय से लिखित निर्देश प्राप्त करने के लिए समय मांगा, जिसके बाद मामले की सुनवाई 24 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी गई।

सुनवाई के दौरान DSGI एसबी पांडे ने जस्टिस राजन रॉय और जस्टिस ओम प्रकाश शुक्ला की पीठ को सूचित किया कि उन्हें केंद्रीय गृह मंत्रालय से मौखिक निर्देश मिले हैं कि उन्हें जनहित याचिका याचिकाकर्ता एस. विग्नेश शिशिर से एक अभ्यावेदन प्राप्त हुआ, जिसमें गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने का अनुरोध किया गया।

बता दें कि मामले में पिछली सुनवाई में न्यायालय ने भारत संघ से पूछा था कि क्या उसे जनहित याचिका याचिकाकर्ता द्वारा सक्षम प्राधिकारी को भेजा गया अभ्यावेदन-सह-शिकायत प्राप्त हुई है। यदि मिली है तो उसकी स्थिति क्या है।

खंडपीठ ने यह आदेश इस बात पर गौर करने के बाद पारित किया कि इसी तरह की जनहित याचिका (उसी याचिकाकर्ता द्वारा) पहले भी दायर की गई थी, जिसे वापस लिए जाने के कारण खारिज कर दिया गया था। याचिकाकर्ता को नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 9(2) के तहत सक्षम प्राधिकारी से संपर्क करने की स्वतंत्रता दी गई थी, जहां तक ​​कानून में इसकी अनुमति है।

जनहित याचिका याचिकाकर्ता का दावा है कि उसने नागरिकता नियम 2009 के नियम 40 (2) तथा 2009 के नियमों की अनुसूची III के साथ 1955 अधिनियम की धारा 9 (2) के नियमों तथा विनियमों के अनुसार गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द करने की मांग करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय में सक्षम प्राधिकारी के समक्ष दो अभ्यावेदन प्रस्तुत किए हैं।
संदर्भ के लिए, 2009 के नियमों की धारा 40 केंद्र सरकार के उस अधिकार से संबंधित है, जिसके तहत वह यह निर्धारित कर सकता है कि भारत के किसी नागरिक ने किसी अन्य देश की नागरिकता कब, कैसे या कैसे प्राप्त की है।

जनहित याचिका में किए गए दावे

याचिकाकर्ता विग्नेश ने अपनी जनहित याचिका में दावा किया कि हाईकोर्ट द्वारा उनकी पिछली जनहित याचिका खारिज किए जाने के बाद उन्होंने भारत सरकार के गृह मंत्रालय के समक्ष विस्तृत अभ्यावेदन प्रस्तुत किया, जो अभी भी लंबित है।
उनकी जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि उन्होंने इस मुद्दे पर विस्तृत जांच की, कई ‘नए इनपुट’ प्राप्त किए और गांधी के नागरिकता रिकॉर्ड के बारे में विवरण मांगने के लिए यूके सरकार को ईमेल भेजे।

इस प्रक्रिया में याचिका में आगे कहा गया कि उन्हें पता चला कि यूके सरकार को पहले ही वीएसएस सरमा (प्रतिवादी संख्या 14) से 2022 में विवरण मांगने का अनुरोध प्राप्त हो चुका है। उसके बाद उन्होंने (पीआईएल याचिकाकर्ता-विग्नेश) सरमा से संपर्क किया, जो यूके सरकार से प्राप्त गोपनीय ईमेल साझा करने के लिए सहमत हुए।

जनहित याचिका में आरोप लगाया गया कि उन गोपनीय ईमेल (वर्ष 2022 के) में, यू.के. सरकार ने संकेत दिया है कि उसके पास राहुल गांधी की ब्रिटिश राष्ट्रीयता के रिकॉर्ड हैं। इस तरह के व्यक्तिगत डेटा को देश के डेटा संरक्षण अधिनियम, 2018 के अनुसार यू.के. जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन द्वारा नियंत्रित किया जाता है। हालांकि याचिका में यह भी कहा गया कि कथित मेल में आगे कहा गया कि सरकार गांधी के बारे में तब तक जानकारी नहीं दे सकती, जब तक कि यू.के. सरकार को गांधी से हस्ताक्षरित अधिकार पत्र नहीं मिल जाता।

इस पृष्ठभूमि में जनहित याचिका में दावा किया गया कि यू.के. सरकार का कथित मेल इस बात की ‘पूर्ण स्वीकृति’ है कि गांधी यूनाइटेड किंगडम के नागरिक हैं।

इसलिए जनहित याचिका में अनुरोध किया गया कि CBI मामले की विस्तृत जांच करे, भारत में सक्षम न्यायालय से अनुरोध पत्र प्राप्त करे। गांधी की नागरिकता के संबंध में यू.के./ब्रिटेन सरकार के पास उपलब्ध सभी सरकारी रिकॉर्ड और जानकारी निकाले।

याचिका में मुख्य चुनाव आयुक्त, मुख्य निर्वाचन अधिकारी उत्तर प्रदेश और रिटर्निंग अधिकारी रायबरेली को राहुल गांधी का निर्वाचन प्रमाणपत्र रद्द करने का निर्देश देने की भी मांग की गई।

गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी की नागरिकता को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की है।

पिछले सप्ताह मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार के वकील से इस मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित याचिका की एक कॉपी प्राप्त करने को कहा है।

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