आंतरिक शुद्धि का स्वर्णिम अवसर है पर्युषण पर्व

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स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया पर्युषण पर्व का दूसरा दिन
जोधपुर। पर्युषण पर्व का दूसरा दिन बुधवार को स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया। इस दौरान कई स्थानों पर धार्मिक कार्यक्रम हुए।
आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी कुंदन प्रभा आदि ठाणा-4 के सान्निध्य में ओसवाल कम्युनिटी सेंटर में आज स्वाध्याय दिवस मनाया गया। कार्यक्रम का मंगलाचरण युवक परिषद सरदारपुरा के सदस्यों ने स्वाध्याय की प्रेरणा देते गीत से किया। साध्वी विद्युत प्रभा ने सम्यक्तव पर कहा कि सम्यक्तव का अर्थ होता है यथार्थ ज्ञान। परम विशुद्ध सम्यकत्व अगर आ जाये तो मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। व्यक्ति जैन कुल में जन्म लेने मात्र से ही जैन नहीं बन जाता, आचरण में जैनत्व झलकना चाहिए। कषाय मुक्ति की साधना करनी चाहिये।
साध्वी चारित्र प्रभा ने स्वाध्याय के बारे में बताते हुए कहा कि स्व अध्याय के संधि बनने से बने शब्द स्वाध्याय का अर्थ है स्वयं का अध्ययन। स्वयं को जानने का सबसे बड़ा उपक्रम है स्वाध्याय। इस एक आत्मा को देव गुरू धर्म पर श्रद्धा रखकर पांच इंद्रियों को वश मे रखकर और जुआ, चोरी, शराब आदि सात व्यसनों से दूर रहकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करना है। इस अवसर पर अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद सरदारपुरा द्वारा आयोज्य अभिनव सामायिक के बैनर का अनावरण किया गया। तेयुप मंत्री मिलन बांठियां ने बताया कि कल के दिवस को सामायिक दिवस के रूप में मनाया जाएगा जिसमें तेयुप द्वारा अभिनव सामायिक की आराधना करायी जायेगी।
वहीं आचार्य महाश्रमण की शिष्या साध्वी रतिप्रभा के सानिध्य में जाटाबास स्थित तेरापंथ भवन में भी पर्युषण महापर्व का दूसरा दिवस स्वाध्याय दिवस के रूप में मनाया गया। साध्वी पावनयशा ने पर्युषण की प्रेरणा देते हुए स्वाध्याय के विषय में प्रकाश डाला। साध्वी रतिप्रभा ने कहा कि पर्युषण पर्व आंतरिक शुद्धि का स्वर्णिम अवसर हैं। यह मन की शुद्धता का, राग द्वेष मिटाने का, धर्म के पथ पर चलने का कर्तव्य बोध कराता है। पर्युषण मे तीर्थंकर व महापुरुषों के जीवन चरित्र का श्रवण किया जाता हैं। महापुरुष के चरित्र सुनने के लिए नहीं अपितु स्वयं के चरित्र को सुधारने के लिए होता हैं। सम्पूर्ण विश्व में पर्यूषण ही एकमात्र ऐसा पर्व है जो माफ़ी मांगने व क्षमा प्रदान करने की प्रेरणा देता हैं। साध्वी कलाप्रभा ने भगवान महावीर की अध्यात्म यात्रा का वर्णन करते हुए मरीचि कुमार के तीसरे भव का सुंदर वर्णन किया। चतुर्दशी के अवसर पर साध्वी द्वारा हाजरी का वाचन किया गया।

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