जयपुर, 2 मई। राजस्थान हाईकोर्ट ने अंतिम वर्ष में अध्ययनरत छात्रा को परीक्षा में पास कराने के बदले उसके साथ यौन संबंध बनाने की मांग करने के आरोपी एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार और सह आरोपी विद्यार्थी ईशा यादव व अर्पित अग्रवाल को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जस्टिस उमाशंकर व्यास की एकलपीठ ने यह आदेश तीनों आरोपियों की जमानत याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिए।
जमानत याचिका में अधिवक्ता सुधीर जैन व अन्य वकीलों ने बताया कि याचिकाकर्ता लंबे समय से न्यायिक अभिरक्षा में चल रहे हैं। इसके अलावा पुलिस ने अनुसंधान पूरा कर प्रकरण में आरोप पत्र भी पेश कर दिया है। शिकायतकर्ता ने अपने दूरवर्ती उद्देश्य की पूर्ति और दबाव बनाने के लिए काफी देरी से यह रिपोर्ट दर्ज कराई है। वहीं केस की ट्रायल पूरी होने में भी समय लगेगा। ऐसे में उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए। जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि आरोपी गिरीश परमार ने प्रोफेसर होते हुए अपने पद का दुरुपयोग कर छात्राओं से यौन संबंध बनाने की मांग की है। ऐसे में अपराध की गंभीरता को देखते हुए उन्हें जमानत नहीं दी जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं।
गौरतलब है कि पीडिता छात्रा ने दादाबाड़ी थाने में गत दिसंबर माह में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। रिपोर्ट में कहा गया कि आरटीयू, कोटा के एसोसिएट प्रोफेसर गिरीश परमार ने उसे परीक्षा में अच्छे नंबर से पास करवाने के लिए शारीरिक संबंध बनाने का दबाव बनाया। जब उसने मना कर दिया तो परमार ने परीक्षा में उसे फेल कर दिया। वहीं बिचौलिये छात्र अर्पित अग्रवाल ने उसे पास कराने का झांसा दिया। अर्पित छात्राओं को पास कराने के झांसे लेता है और फिर एसोसिएट प्रोफेसर परमार के साथ संबंध बनाने को कहता है। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने परमार, छात्रा ईशा यादव व अर्पित अग्रवाल को गिरफ्तार किया था। वहीं गत दिनों तीनों के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र पेश किया गया था।