-कांग्रेस प्रभारी रंधावा ने बुलाई है बैठक, तीनों सह प्रभारी भी रहेंगे मौजूद
-दिल्ली के कांग्रेस के सीनियर्स नेता गहलोत-पायलट मुद्दे पर मौन
जयपुर, 11 मई : चुनावी साल में चल रहे प्रदेश में कांग्रेस पार्टी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। सीएम अशोक गहलोत व पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच चल रहा विवाद थमन का नाम ही नहीं ले रहा है। धौलपुर में सीएम का तो जयपुर में पायलट का मीडिया के सामने दिए गए बयान के बाद दोनों अब खुलकर आमने-सामने आ गए हैं। दूसरी ओर पार्टी शीर्ष नेतृत्व इस पूरे मामले को लेकर चिंता में है। पार्टी हाईकमान को लग रहा है कि यदि जल्द विवाद नहीं थमा तो इसका खामियाजा पार्टी को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। इसी के चलते शुक्रवार को प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने दिल्ली में मीटिंग आहूत की है। इसमें प्रदेश के तीनों सह प्रभारी एवं प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा भी मौजूद रहेंगे। बताया जाता है कि मीटिंग में गहलोत-पायलट पर ही फोकस होगा। अब इस विवाद को खत्म करने को लेकर ठोस कदम उठाने पर रणनीति बनाने में पार्टी हाईकमान सक्रिय हो गया है। हालांकि इस विवाद को लेकर दिल्ली में बैठे कांग्रेस के सीनियर्स कुछ भी कहने से बच रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान दोनों हाथों में लड्डू रखना चाहता है और इसी के चलते वह ना तो गहलोत ना ही पायलट को छोडऩे के मूड में है। दूसरी तरह इनके बीच विवाद इतना बढ़ गया है कि बीच का कोई रास्ता पार्टी को नजर नहीं आ रहा है। हालांकि कांग्रेस सीनियर्स पूरी तरह से गहलोत के पक्ष में नजर आ रहे हैं। बुधवार को राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने मीडिया के सामने तंज कसते हुए कहा कि मुझे तो पायलट का बयान मजाक लगता है। अब इसका क्या समाधान करें, मजाक का जवाब मजाक में ही देंगे। समय आने पर प्रदेश प्रभारी पूरे मामले को समझकर जो निष्कर्ष निकालेंगे वह बाद में साझा कर लिया जाएगा। अब जब पायलट ने अजमेर से जयपुर तक की 125 किमी जन संघर्ष पदयात्रा शुरू कर दी है, तो पार्टी हाईकमान इस मामले को लेकर शुक्रवार को मंथन करेगा। इसको लेकर प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, प्रदेशाध्यक्ष डोटासरा एवं तीनों सह प्रभारी दिल्ली में मीटिंग करेंगे। सूत्रों की माने तो यह मीटिंग पूरी तरह गहलोत-पायलट विवाद पर ही फोकस रहेगी। मालूम हो कि पायलट के एक दिन के अनशन को लेकर भी रंधावा ने अपनी नाराजगी जाहिर की थी और इसे अनुशासनहिनता कहा था। अब जब पायलट ने पेपर लीक, करप्शन को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ यात्रा शुरू कर दी है, तो पार्टी हाईकमान इसे कैसे लेगा यह देखना दिलचस्प होगा। पहले यह सभी मीटिंग करेंगे और जो भी निष्कर्ष निकलेगा उसे लेकर वेणुगोपाल और राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के सामने रखा जाएगा। इसके बाद खरगे इस मामले को लेकर सोनिया गांधी, राहुल गांधी एवं प्रियंका वाड्रा गांधी से डिस्कसन करेंगे। इस मसले पर कोई भी नेता कुछ बोलने को तैयार नहीं है और सभी का कहना है कि इंतजार करो, सब कुछ सामने आएगा।
चुनाव के पहले विवाद निपटाना कांग्रेस की मजबूरी
कांग्रेस की मजबूरी है कि अब चुनाव में करीब सात माह का ही समय बचा है और इसके चलते यह विवाद जल्द से जल्द निपटाना होगा। यदि विवाद नहीं सुलझा तो फिर इसका सबसे अधिक नुकसान कांग्रेस को होगा। भले ही सीएम गहलोत सरकार रिपीट का दावा कर रहे हैं लेकिन सभी भलीभांति जानते हैं कि सचिन के बिना यह संभव नहीं है। कांग्रेस को बीच का रास्ता या फिर कोई बड़ा निर्णय लेना होगा तभी कांग्रेस में व्याप्त गुटबाजीी पर लगाम कस सकेगी।
सचिन के सामने विकल्प
-पार्टी कार्रवाई करती है, तो पायलट को लोगों की सहानुभूति मिलेगी और वह मजबूत होंगे।
-अलग पार्टी बनाकर चुनावी मैदान में कूद सकते हैं और किंगमेकर की भूमिका में आ सकते हैं।
-केजरीवाल, हनुमान बेनीवाल के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकते हैं।
-कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष का दायित्व मिले और अगले चुनाव में सीएम फेस के नाम का एलान हो, तभी वह कांग्रेस में रह सकते हैं।
2023-05-11