पीडिता, मां और शिकायतकर्ता मामा पक्षद्रोही, पॉक्सो कोर्ट ने मेडिकल साक्ष्य पर दी सजा

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जयपुर, 15 मई। जिले की पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत ने नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त दीपक बुनकर को दस साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही अदालत ने 23 वर्षीय इस अभियुक्त पर पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। मामले में पीडिता, उसकी मां और एफआईआर दर्ज कराने वाला मामा पक्षद्रोही हो गए थे। इसके अलावा अदालत को पीडिता और अभियुक्त के विवाह करने की जानकारी भी दी गई थी, लेकिन अदालत ने चिकित्सीय साक्ष्य पर अभियुक्त को सजा सुनाई है। अदालत ने कहा कि मेडिकल साक्ष्य से साबित है कि अभियुक्त ने 17 साल पांच माह की पीडिता के साथ संबंध बनाए थे। ऐसे में नाबालिग के साथ संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में आता है। क्योंकि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है।

अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक विजया पारीक ने अदालत को बताया बताया गया कि 22 जून, 2020 को पीडिता के मामा ने अमरसर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। जिसमें बताया गया कि एक वर्ष पूर्व उसके पिता की मौत के दौरान दीपक ने उनके घर में टेंट लगाने का काम किया था। इसके बाद से दीपक और उसकी भांजी आपस में बात करने लगे। वहीं 14 जून को पीडिता अपनी बहन के घर हनुतिया गई हुई थी। इस दौरान उसकी बहन और बहनोई पीडिता को घर में अकेला छोडकर किसी रिश्तेदार के यहां चले गए थे। ऐसे में रात को दीपक ने वहां जाकर पीडिता के साथ दुष्कर्म किया। रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेष किया।

सुनवाई के दौरान पीडिता, उसकी मां और शिकायतकर्ता मामा ने दुष्कर्म की घटना ने इनकार कर दिया। मामा ने कहा कि वह अभियुक्त के घर अपनी भांजी का रिश्ता लेकर गया था। उनकी ओर से शादी के लिए मना करने पर आपस में लडाई-झगडा हो गया और उसने आवेश में आकर रिपोर्ट दर्ज करा दी। वहीं डीएनए रिपोर्ट में पीडिता के कपड़ों पर अभियुक्त का डीएनए पाया गया। इस आधार पर अदालत ने अभियुक्त को सजा सुनाई है।

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