जोधपुर। संवेदनशील, जवाबदेह और पारदर्शी सुशासन का अनूठा और अनुकरणीय जीवन्त उदाहरण जोधपुर जिले में देखने को मिला, जब प्रशासन ने नियति के अभिशाप से पीडि़त वृद्धा के घर पहुंच कर उसे लाभान्वित किया।
बालेसर दुर्गावता गांव की 98 वर्षीय मथुरा देवी नेत्रहीन, बधिर, निसन्तान होने के साथ ही पति एवं परिवार से भी वंचित रहकर एकल नारी के रूप में किसी दूर के रिश्तेदार पर आश्रित होकर अपना बुढ़ापा काट रही हैं। मथुरा देवी की पेंशन सत्यापन के अभाव में बंद हो गई थी। सत्यापन के लिए वृद्धावस्था एवं विकलांगता की वजह से वह कैंप तक आने में सक्षम नहीं थी। ऐसे में सत्यापन के लिए विकलांग एवं नेत्रहीन वृद्धा को घर से लाकर सत्यापन की कार्यवाही करना तक मुश्किल था। महंगाई राहत कैंप एवं प्रशासन शहरों के संग अभियान के अन्तर्गत बालेसर दुर्गावता गांव में शिविर लगा।
शिविर प्रभारी मनोज खेमादा के ध्यान में जब यह बात आयी तो उन्होंने पालिका के अधिशासी अधिकारी सोमप्रकाश मिश्रा को निर्देश दिए जिस पर पहल करते हुए उन्होंने मथुरा देवी के घर पहुंचकर सत्यापन का रास्ता अपनाया। इस पर नगर पालिका के तकनीकी सहायक राजेश चौधरी, पार्षद वीरम शर्मा एवं कंम्प्यूटर ऑपरेटर राहुल प्रजापत ने विकलांग नेत्रहीन वृद्धा के घर पहुंचकर महिला की पेंशन को सत्यापित किया। अधिशासी अधिकारी सोमप्रकाश मिश्रा ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मंशा के अनुरूप जनकल्याण के अनुष्ठान में जुटे इन कैंपों के संचालक, प्रभारी तथा सभी कार्मिक पूरे मनोयोग के साथ घर-आँगन तक राहत पहुंचा रहे हैंं।