पुरानी पेंशन स्कीम को वापस लागू करने की मांग कर रहे सरकारी कर्मचारियों के लिए अच्छी खबर है। सरकार अब नई पेंशन स्कीम का जल्द रिव्यू करेगी। गुरुवार (6 अप्रैल) को फाइनेंस मिनिस्ट्री ने कहा कि नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) का रिव्यू करने के लिए कमेटी बनाई है।
इस कमेटी के रिव्यू के बाद सरकार फैसला लेगी कि पुरानी पेंशन स्कीम को वापस लागू किया जाना चाहिए या नहीं। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब कई राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना को फिर से लागू करने का फैसला किया है, जिससे विशेषज्ञों में चिंता बढ़ गई है।
24 मार्च को सीतारमण ने NPS का रिव्यू करने की बात कही थी
24 मार्च को संसद में फाइनेंस बिल पेश करने के दौरान फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने नई पेंशन स्कीम का रिव्यू करने की बात कही थी। सीतारमण ने कहा था कि फाइनेंस सेक्रेटरी की लीडरशिप में एक कमेटी बनाई जाएगी। यह कमेटी नई पेंशन स्कीम का रिव्यू करेगी।
रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पुरानी पेंशन योजना को लेकर कहा कि आगे चलकर ये बहुत भारी पड़ेगी। राज्यों के कदम के बारे में बताते हुए भारत के कंट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल ने कहा कि यह एक नीतिगत निर्णय है, जिस पर बहस करने का उनका इरादा नहीं है। अब तक राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़, झारखंड और हिमाचल प्रदेश ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को फिर से शुरू कर दिया है।
नई पेंशन स्कीम कब लागू हुई थी?
सरकारी कर्मचारियों को साल 2004 से पहले पुरानी पेंशन स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद एक तय पेंशन मिलती थी। यह पेंशन रिटायरमेंट के समय कर्मचारी की सैलरी पर आधारित होती थी। इस स्कीम में रिटायर्ड कर्मचारी की मौत के बाद उसके फैमिली मेंबर्स को भी पेंशन मिलने का नियम था।
हालांकि अटल बिहारी वाजपेई सरकार ने अप्रैल 2005 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम को बंद कर दिया था और इसकी जगह नई पेंशन स्कीम लागू हुई थी। बाद में राज्यों ने भी नई पेंशन स्कीम को लागू कर दिया।