PM मोदी:बोले नए संसद भवन लोकतंत्र का मंदिर- ये देश के करोड़ लोगों के सपनों का प्रतिबिम्ब

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नए संसद भवन का इनॉगरेशन किया। इस मौके पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला भी मौजूद थे। PM मोदी सुबह 7:30 बजे नए संसद भवन पहुंचे, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को नमन किया और फिर हवन-पूजन में बैठे।

तमिलनाडु से आए संतों के सेंगोल सौंपने से पहले PM मोदी ने सेंगोल को साष्टांग प्रणाम किया। इसके बाद उन्होंने सेंगोल को सदन में स्पीकर की कुर्सी के बगल में स्थापित किया। कार्यक्रम के दौरान मोदी ने श्रमयोगियों का सम्मान किया, सर्वधर्म सभा भी हुई।

सेंगोल स्थापना के बाद PM मोदी ने ट्वीट किया- आज का दिन हम सभी देशवासियों के लिए अविस्मरणीय है। नया संसद भवन हम सभी को गर्व और उम्मीदों से भर देने वाला है।

इनॉगरेशन प्रोग्राम के दूसरे सेशन में सदन में सांसद और अतिथि मौजूद थे। इन्हें सेंगोल पर बनी फिल्म दिखाई गई और PM ने 75 रुपए का सिक्का जारी किया। इसके बाद PM की स्पीच शुरू हुई।

मोदी की पूरी स्पीच सिलसिलेवार पढ़ें….

सभी भारतीयों को लोकतंत्र के इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। देश के लोगों ने नए संसद भवन का उपहार दिया है। संसद में सर्वधर्म प्रार्थना हुई है। मैं सभी भारतीयों को लोकतंत्र के इस स्वर्णिम क्षण की बहुत बधाई देता हूं। साथियों ये सिर्फ एक भवन नहीं है, ये 140 करोड़ भारतवासियों की आकांक्षाओं और सपनों का प्रतिबिम्ब है। ये विश्व को भारत के दृढ़संकल्प का संदेश देता हमारे लोकतंत्र का मंदिर है।

नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा
PM ने कहा- नया संसद भवन योजना को यथार्थ से, नीति को निर्माण से, संकल्प को सिद्धि से जोड़ने वाली अहम कड़ी साबित होगा। नया भवन स्वतंत्रता सेनानियों के सपनों को साकार करने का आधार बनेगा। नया भवन आत्मनिर्भर भारत के नए सूर्य का साक्षी बनेगा। नया भवन विकसित भारत के संकल्पों की सिद्धि होते हुए देखेगा। यह नूतन और पुरातन के सह अस्तित्व का भी आदर्श है।

विश्व भारत को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है
उन्होंने कहा- नए रास्तों पर चलकर ही नए प्रतिमान गढ़े जाते हैं। आज नया भारत नए लक्ष्य तय कर रहा है। नए रास्ते गढ़ रहा है, नया जोश और नई उमंग है, नया सफर है और नई सोच है। दिशा नई है, दृष्टि नई है, संकल्प नया है औऱ विश्वास नया है। आज फिर एक बार पूरा विश्व भारत को भारत के संकल्प की दृढ़ता को और भारतीय जनशक्ति की जिजीविषा को आदर और उम्मीद के भाव से देख रहा है।

सेंगोल कर्तव्य-सेवा और राष्ट्र पथ का प्रतीक, हमनें इसकी गरिमा लौटाई
प्रधानमंत्री ने कहा- जब भारत आगे बढ़ता है तो विश्व आगे बढ़ता है। संसद का ये नया भवन भारत के विकास से विश्व के विकास का आह्वान करेगा। आज इस ऐतिहासिक अवसर पर कुछ देर पहले संसद की नई इमारत में पवित्र सेंगोल की भी स्थापना हुई है। महान चोल साम्राज्य में सेंगोल को कर्तव्य पथ का, सेवा पथ का, राष्ट्र पथ का प्रतीक माना जाता था।

राजाजी और अधीनम के संतों के मार्ग दर्शन में सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। तमिलनाडु से आए अधीनम के संत संसद में आशीर्वाद देने उपस्थित हुए थे, उन्हें दोबारा श्रद्धापूर्वक नमन करता हूं।

भारत लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी
PM ने कहा- भारत लोकतांत्रिक राष्ट्र ही नहीं, मदर ऑफ डेमोक्रेसी भी है। वैश्विक लोकतंत्र का बड़ा आधार है। लोकतंत्र हमारे लिए व्यवस्था ही नहीं, संस्कार,विचार और परंपरा है। हमारे वेद हमें सभाओं और समितियों के लोकतांत्रिक आदर्श सिखाते हैं।

अमृत काल विरासत को सहेजते हुए विकास के नए आयाम गढ़ने का काल
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- संसद जिसका प्रतिनिधित्व करती है, उसका उद्घोष करती है। जो रुक जाता है, उसका भाग्य भी रुक जाता है। जो चलता रहता है, उसका भाग्य आगे बढ़ता है और बुलंदियों को छूता है। इसलिए चलते रहो-चलते रहो। गुलामी के बाद हमारे भारत ने बहुत कुछ खोकर अपनी नई यात्रा शुरू की थी। वो यात्रा कितने ही उतार-चढ़ावों से होते हुए, कितनी चुनौतियों को पार करते हुए आजादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुकी है। यह अमृत काल विरासत को सहेजते हुए विकास के नए आयाम गढ़ने का काल है। ये काल देश को नई दिशा देने का काल है।

नए भवन में विरासत-वास्तु, कला-कौशल, संस्कृति और संविधान के स्वर हैं
PM ने कहा- 21वीं सदी का नया भारत बुलंद हौसले से भरा हुआ भारत। अब गुलामी की उस सोच को पीछे छोड़ रहा है। आज भारत प्राचीन कला की उस गौरवशाली धारा को मोड़ रहा है। संसद की नई इमारत इस प्रयास का जीवंत प्रतीक बनी। इसे देखकर हर भारतीय गौरव से भरा हुआ है। इस भवन में विरासत भी है और वास्तु भी है। कला भी है और कौशल भी है। संस्कृति भी है और संविधान के स्वर भी हैं।

भवन के कण-कण में एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना के दर्शन
उन्होंने कहा- लोकसभा का आंतरिक हिस्सा राष्ट्रीय पक्षी मोर, राष्ट्रीय पुष्प राज्यसभा का कमल और संसद के प्रांगड़ में राष्ट्रीय वृक्ष बरगद भी है। पत्थर राजस्थान, लकड़ी महाराष्ट्र, यूपी में भदोही के कारीगरों ने कालीन बुने। भवन के कण-कण में हमें एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना के दर्शन हो रहे हैं।

संसद के पुराने भवन में सभी के लिए अपने कार्यों को पूरा करना कितना मुश्किल हो रहा था ये हम सभी जानते हैं। टेक्नोलॉजी से जुड़ी समस्याएं थीं, बैठने की जगह की चुनौती थी। बीते डेढ़-दो दशकों से नए संसद भवन की आवश्यकता पर चर्चा हो रही थी। यह भी देखना होगा कि आने वाले समय में सांसद बढ़ेंगे, वो लोग कहां बैठेंगे।

नया संसद भवन समय की मांग थी, यह आधुनिक सुविधाओं से लैस
ये समय की मांग थी कि संसद की नई इमारत का निर्माण किया जाए। मुझे खुशी है कि भव्य इमारत आधुनिक सुविधाओं से लैस है। इस समय भी इस हॉल में सूर्य का प्रकाश सीधे आ रहा है। बिजली कम से कम खर्च हो, हर तक लेटेस्ट गैजेट्स हों..इसका ध्यान रखा गया है।

नए भवन में श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी
मोदी ने कहा- संसद भवन ने 60 हजार श्रमिकों को रोजगार देने का काम किया। उन्होंने अपना पसीना बहाया है। इनके श्रम को समर्पित एक डिजिटल गैलरी बनाई गई है, विश्व में ये शायद पहली बार हुआ हो। संसद के निर्माण में उनका योगदान भी अमर हो गया है। कोई एक्सपर्ट पिछले 9 साल का आकलन करे तो ये 9 साल भारत में नव निर्माण और गरीब कल्याण के रहे हैं।
नई संसद की खासियत

अभी लोकसभा में 590 लोगों की सीटिंग कैपेसिटी है। नई लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है।
अभी राज्यसभा में 280 की सीटिंग कैपेसिटी है। नई राज्यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोग बैठ सकेंगे।
लोकसभा में इतनी जगह होगी कि दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकेंगे।
संसद के हर अहम कामकाज के लिए अलग-अलग ऑफिस हैं। ऑफिसर्स और कर्मचारियों के लिए भी हाईटेक ऑफिस की सुविधा है।
कैफे और डाइनिंग एरिया भी हाईटेक है। कमेटी मीटिंग के अलग-अलग कमरों में हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं।
कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था है।
75 साल बाद राजदंड का संसद में प्रवेश
मोदी 28 मई को नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास पवित्र सेंगोल (राजदंड) स्थापित किया गया। अंग्रेजों की तरफ से 14 अगस्त 1947 की रात इसे पं. नेहरू को सत्ता हस्तांतरण के रूप में सौंपा गया था। 1960 से पहले यह आनंद भवन और फिर 1978 से इलाहाबाद म्यूजियम में रखा था। अब 75 साल बाद राजदंड का संसद में प्रवेश हुआ।
जनवरी 2021 में निर्माण शुरू हुआ
तिकोने आकार के नए संसद भवन का निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। इस बिल्डिंग को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। पीएम नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। तब उन्होंने कहा था कि संसद की नई बिल्डिंग से अधिक सुंदर कुछ नहीं हो सकता, जब भारत अपनी आजादी के 75 साल मनाएगा।

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