टोंक।: जिला सत्र न्यायालय ने अवैध अफीम की खेती के आरोप में सवा तीन साल से जेल में बंद आरोपी को संदेह का लाभ देकर दोष मुक्त करते हुए तुरंत प्रभाव से जिला कारागृह टोंक से रिहा करने का आदेश पारित किया है। प्रकरण के अनुसार पीपलू थानान्तर्गत काशीपुरा गांव में स्वंय खेत पर अवैध अफीम की खेती की सूचना परतत्कालीन थानाधिकारी पीपलू रामअवतार चौधरी ने मय पुलिस जाब्ता तन काशीपुरा पहुचकर 1953 वर्ग फिट खेत में 4 फीट ऊंचाई के 11 हजार 300 अफीम के पौधों की खेती करते हुए रामअवतार पुत्र रामगोपाल जाट निवासी काशीपुरा को अफीम की खेती करने का कोई लाइसेंस नही होने पर गिरप्तार कर एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार कर अफीम के पौधों को उखाडक़र बोरों में भरकर जब्त किया गया था। जहा एनडीपीएस प्रकरण के जिला न्यायाधीश टोंक के समक्ष पेश करने पर उसे जेल भेज दिया गया। मामले में तत्कालीन थानाधिकारी बरोनी गोविंद सिंह एवं हरिनारायण ने अनुसंधान कर आरोपी के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में पेश की।
जिला न्यायालय में आरोपी रामअवतार की तरफ से एडवोकेट महावीर तोगड़ा ने तर्क पेश किए कि जब्ती अधिकारी थानाधिकारी पीपलू ने आरोपी की तलाश से पूर्व उसे न तो विधिक नोटिस दिया और ना ही जब्ती की कार्यवाही में काम में ली गई सील को मौके पर नष्ट किया और न ही संपूर्ण जब्ती व गिरफ्तारी की संपूर्ण रिपोर्ट पुलिस अधीक्षक को पेश की। एडवोकेट तोगड़ा ने बताया कि पुलिस दल में शामिल सभी पुलिसकर्मी अफीम के पौधों की जब्ती व बरामदगी के बारे में अपने बयानो में भिन्न-भिन्न कथन करते हैं। वहीं जहां पुलिस खेत में से हरे अफीम के डण्डल, डोडे के पौधे जब्त कर जांच हेतु उन्हें कपड़े की थैली में सीलबंद कर एक किलो वजनी पौधे विधि विज्ञान प्रयोगशाला जयपुर में जांच हेतु भेजना बताती है, जबकि एफएसएल जयपुर की रिपोर्ट के अनुसार वहां कांच के जार में 2.341 किलोग्राम माल पहुंचता है, जो कि अफीम के पौधे नहीं होकर, अफीम होती है।
तर्क में तोगडा ने बताया कि पटवारी हल्का लड्डू लाल धाकड़ ने अफीम की खेती वाला खेत आरोपी के अलावा उसके अन्य परिवारजनों के संयुक्त कब्जे काश्त व खातेदारी का होना बताते हुए उसके द्वारा गश्त के दौरान कभी भी आरोपी को अफीम की खेती करते नही देखना बताया है। ऐसे मेें पुलिस व अभियोजन पक्ष का संपूर्ण प्रकरण सन्देहप्रद प्रतीत होता है, जिस पर जिला न्यायाधीश अय्यूब खान ने 3 वर्ष 2 माह 21 दिन से जेल में बंद चल रहे आरोपी रामअवतार को संदेह का लाभ देकर बरी करते हुए तत्काल जेल से छोडऩे का आदेश पारित किया।