म्यूजिय़म एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के तत्वावधान में तीन दिवसीय ऑल इण्डिया एनुअल कान्फ्रेंस शुरू

Share:-


जोधपुर। म्यूजिय़म एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के तत्वावधान और मेहरानगढ़ म्यूजिय़म ट्रस्ट की मेजबानी में तीन दिवसीय ऑल इण्डिया एनुअल कॉन्फ्रेस – 2023 का प्रारम्भ आज मेहरानगढ़ दुर्ग के चौकेलाव महल प्रांगण में हुआ। उद्घाटन समारोह में पूर्व नरेश गजसिंह को म्यूजिय़म क्षेत्र में दिये गये उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए म्यूजिय़म एसोसिएशन ऑफ इण्डिया की ओर से शॉल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। समारोह में हेप्निबाह इंस्टीट्यूट ऑफ हेरिटेज कन्जरवेशन के निदेशक और प्रख्यात संरक्षण विज्ञानी डॉ. वी जयराम को धातुकर्म विज्ञान एवं धात्विक कलाओं का रसायनिक संरक्षण में दिये गये उल्लेखनीय योगदान के लिए म्यूजिय़म एसोसिएशन ऑफ इण्डिया द्वारा लाइफ टाइम एचीवमेण्ट पुरस्कार से पुरस्कृत किया गया।

मेहरानगढ़ म्यूजिय़म ट्रस्ट की संग्रहाल्याध्यक्ष डॉ. सुनयना राठौड़ ने बताया कि तीन दिवसीय इस वार्षिक कॉन्फ्रेस के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि गजसिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत के म्यूजिय़मों को विकसित एवं संरक्षित करने में डॉ. ओ.पी. अग्रवाल, डॉ. के.के. मेनन का एवं कई विभूतियों का विशिष्ट योगदान रहा है। इनके प्रयासों से ही हमारे देश के महत्वपूर्ण ऑब्जेक्ट्स को प्रदर्शित और उनके संरक्षण हेतु संग्रहालयों की स्थापना की गई है जो देश के महत्वपूर्ण आब्जेक्ट्स को संरक्षित रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इसके साथ ही देश में कई जगह कला संरक्षण केन्द्रों की भी स्थापना की गई जो उनकी दूरगामी सोच का परिचयायक है। उन्होंने म्यूजिय़म एसोएिसशन ऑफ इण्डिया को इस आयोजन के लिए बधाई दी। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि इण्डियन काउसिंल फॉर कल्चरल रिलेशन मिनिस्ट्री ऑफ एक्सट्रनल अफेयर्स की पूर्व निदेशक और नेशनल म्यूजिय़म इंस्टीट्युट के म्यूजिय़ोलॉजी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. (डॉ) नीरू मिश्रा ने कहा कि हमारे देश के पूर्व शासक वर्ग ने कला के संरक्षण हेतु कई विशिष्ट उपाय किये हैं, जिनकी बदौलत हमारे देश की कई महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक कला-कृतियों को सहेजा जा सका है। साथ ही पूर्व शासकों ने साहित्य के सृजन को भी हमेशा बढ़ावा दिया है।

इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारम्भ में मेहरानगढ़ म्यूजिय़म ट्रस्ट की संग्रहाल्याध्यक्ष डॉ. सुनयना राठौड़ द्वारा सभी पधारे हेतु मेहमानों का इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेस में स्वागत किया गया और कार्यक्रम में बारें जानकारी प्रदान की गई। म्यूजिय़म एसोसिएशन ऑफ इण्डिया के अध्यक्ष और मुख्य वक्ता डॉ. आनन्द बर्धन ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा पारम्परिक ज्ञान बहुत ही समृद्ध और ज्ञान का अकूत भण्डार है। हमारे पूर्वजों ने अनेक ग्रंन्थों की रचना की लेकिन उन्होंने किसी भी ग्रंथ को पेण्टेट करवाकर उसकी पहुंच को सीमित नहीं किया बल्कि उनका उद्देश्य मानवमात्र की भलाई करना था। अन्त में म्यूजिय़म एसोएिसशन ऑफ इण्डिया के सचिव डॉ. राजेश प्रसाद व्यास द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस तीन दिवसीय कॉन्फ्रेस में भारत के विभिन्न राज्यों में स्थित 75 संग्रहालयों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं जिनमें से मुख्य रूप नेशनल म्यूजिय़म दिल्ली, इण्डियन म्यूजिय़म कोलकाता, सोलारगंज म्यूजिय़म, हैदाराबाद एवं भारत कला भवन, बनारस के प्रतिभागी मुख्य रूप से सम्मिलित हैं, साथ ही अनेक विद्वतगण एवं शोधार्थी भी इस कॉन्फ्रेंस में भाग ले रहे हैं।

उद्घाटन समारोह के बाद आयोजित प्रथम शैक्षणिक सत्र में विशेष व्याख्यान के तहत प्रो. वैदूर्य प्रताप साही द्वारा पवित्र वनस्पति विज्ञान और भारतीय परम्पराएं विषय पर एवं प्रो. सत्यप्रकाश दूबे ने संस्कृत और ज्ञान परम्पराएं विषय पर अपना उद्बोधन दिया गया। तत्पश्चात् लाइफ टाइम एचीवमेण्ट से सम्मानित और प्रख्यात संरक्षण विज्ञानी डॉ. वी. जयराम द्वारा धातुकर्म और धातु संरक्षण विषय पर एवं अन्त में डॉ. नीरू मिश्रा द्वारा भारतीय पारम्परिक ज्ञान एवं संग्रहालयों की दैनिक दिनचर्या में घरेलु स्थानों का योगदान विषय पर अपने शोध पत्र का वाचन किया। अंत में सभी प्रतिभागियों को महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश में संग्रहीत रिकॉर्ड का अवलोकन डॉ. महेन्द्रसिंह तंवर द्वारा करवाया गया और मेहरानगढ़ म्यूजिय़म का भ्रमण भी करवाया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *