पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि अब भारत लाल फीताशाही से रेड कार्पेट की ओर बढ़ गया है। भारत खुलेपन के अवसरों और नए विकल्पों के मेल के रूप में देखा जाता है। पिछले नौ साल के दौरान हमारे लगातार प्रयासों से भारत पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बन गया है।
पीएम ने ई कॉमर्स में इंटरनेशनल लेवल पर छोटे और बड़े कारोबारियों को बराबर अवसर देने की पैरवी की है। मोदी ने छोटे और मझोले उद्योगों को ज्यादा सहयोग देने का सुझाव दिया। पीएम गुरुवार को जयपुर में हो रही जी-20 व्यापार और निवेश मंत्रियों की बैठक को वर्चुअल संबोधित कर रहे थे।
पीएम ने कहा कि यह क्षेत्र अपने गतिशील और उद्यमशील लोगों के लिए जाना जाता है। व्यापार ने विचारों, संस्कृतियों और तकनीक के आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया है। इतिहास गवाह है कि व्यापार लोगों को निकट लाया है। व्यापार और ग्लोबलाइजेशन ने करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है।
छोटे और मझोले उद्योगों को ज्यादा सहयोग करें जी-20 देश
मोदी ने कहा- वैश्विक अर्थव्यवस्था में एमएसएमई की प्रमुख भूमिका को देखते हुए उन पर अधिक ध्यान देना होगा। एमएसएमई 60 से 70 प्रतिशत रोजगार देते हैं और वैश्विक जीडीपी में 50 प्रतिशत का योगदान देते हैं। ऐसे में छोटे और मझोले उद्योगों को लगातार समर्थन देने की आवश्यकता है।
छोटे और मझोले उद्योगों का सशक्तिकरण सामाजिक सशक्तिकरण में बदल जाता है। हमारे लिए एमएसएमई का अर्थ है- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को अधिकतम सहयोग। भारत ने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म – सरकारी ई-मार्केटप्लेस के माध्यम से एमएसएमई को सार्वजनिक खरीद से जोड़ा है और पर्यावरण पर जीरो डिफेक्ट, जीरो इफेक्ट को अपनाने के लिए एमएसएमई क्षेत्र के साथ काम कर रहा है।
ई कॉमर्स में छोटे और बड़े व्यापारियों को लेवल प्लेइंग फील्ड देना होगा
उन्होंने कहा- जी-20 व्यापार दस्तावेजों के डिजिटलाइजेशन के लिए हाई लेवल प्रोटोकॉल उच्च- पर काम कर रहा है। सीमा पार ई-कॉमर्स में कई चुनौतियां हैं। बड़े और छोटे विक्रेताओं के बीच समान प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से काम करना होगा।
भारत डब्ल्यूटीओ के मूल में नियम-आधारित, खुली, समावेशी और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में विश्वास करता है। भारत ने 12वें डब्ल्यूटीओ मंत्री स्तरीय सम्मेलन में ग्लोबल साउथ के हितों का पक्ष प्रस्तुत किया है, जहां सदस्य लाखों किसानों और छोटे व्यवसायों के हितों की सुरक्षा पर आम सहमति बनाने में सक्षम थे।