‘मोदी-चोर’ टिप्पणी मानहानि मामले में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की राहुल गांधी की याचिका session court ने खारिज की

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सूरत सत्र न्यायालय ने अप्रैल 2019 में करोल में राजनीतिक रैली के दौरान की गई अपनी टिप्पणी “सभी चोरों का नाम सरनेमा मोदी क्यों होता है” पर मानहानि मामले में दोषी ठहराए जाने पर रोक लगाने की राहुल गांधी की अर्जी को आज खारिज कर दिया। सूरत सत्र न्यायालय के न्यायाधीश रॉबिन मोगेरा ने 13 अप्रैल को गांधी और शिकायतकर्ता, भाजपा के पूर्णेश मोदी की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। यदि उनके आवेदन को स्वीकार कर लिया गया होता तो इस संबंध में लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना जारी होने के अधीन, लोकसभा की उनकी सदस्यता बहाल कर दी गई होती।

गौरतलब है कि 23 मार्च को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने गांधी को दो साल की जेल की सजा सुनाई थी, जिसके बाद उन्हें लोकसभा के सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था। हालांकि, उनकी सजा को निलंबित कर दिया गया और उन्हें 30 दिनों के भीतर अपनी सजा के खिलाफ अपील दायर करने में सक्षम बनाने के लिए जमानत भी दी गई। सत्र न्यायालय ने 3 अप्रैल को मानहानि के मामले में राहुल गांधी को (उनकी अपील के निस्तारण तक) जमानत दे दी थी।
मामला संक्षेप में भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत उनकी कथित टिप्पणी के लिए शिकायत दर्ज कराई, जिसमें कहा गया कि उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कर्नाटक के कोलार में एक रैली को संबोधित करते हुए ‘मोदी’ उपनाम वाले सभी लोगों को बदनाम किया है। उपायुक्त और जिला चुनाव अधिकारी, कोलार जिले के कार्यालय द्वारा विधिवत अधिसूचित वीडियो निगरानी टीम और वीडियो देखने वाली टीम द्वारा टिप्पणियों की वीडियोग्राफी की गई। गुजरात हाईकोर्ट ने इस साल फरवरी में आपराधिक मानहानि मामले में मुकदमे पर रोक हटा दी थी। अदालत ने जब फैसला सुनाया तब गांधी राहुल गांधी अदालत में मौजूद रहे। इससे पहले भी वह तीन बार कोर्ट के सामने पेश हुए थे। गांधी ने कहा कि जब उन्होंने प्रश्नगत बयान दिया तो उनकी ओर से कोई दुर्भावना नहीं थी।

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