-पीडि़त ने लगाई गुहार, कहा-विधायक व पुलिसकर्मियों से जान बचाएं
नई दिल्ली, 10 अगस्त (ब्यूरो): दिल्ली के प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जमवारामगढ़ निवासी दलित मजदूर राजू प्रसाद नायक ने जान बचाने की गुहार लगाई है। उसका आरोप है कि पिछले दिनों पुलिसकर्मियों ने उसे बेवजह मारा। उठाकर विधायक निवास ले गए, जहां दो घंटे तक बंधक बनाकर रखा। वहां उसके साथ मारपीट की गई, जातिसूचक गालियां निकाली और उसके मुंह पर पेशाब किया। राजू का आरोप है कि अत्याचार और अन्याय के खिलाफ उसके द्वारा कोर्ट में जाकर आवाज उठाने पर अब उसे जान से मारने की धमकी मिल रही हैं। स्थानीय एमएलए और इस प्रकरण में शामिल डिप्टी एसपी सहित अन्य पुलिसकर्मियों द्वारा केस समाप्त करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। राजू ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने व खुद व साथियों को सुरक्षा मुहैया कराई कराने की मांग की है।
राजू ने बताया कि वह 30 जून को परम लैंड बेस इंडिया प्राइवेट लि. के खेत में काम कर रहा था, जहां चार-पांच पुलिसकर्मी आए और बेवजह मारना शुरू कर दिया। बाद में उसे पुलिस की गाड़ी में उठाकर एमएलए गोपाल मीणा के निवास पर ले गए। वहां बहुत बुरी तरह से टॉर्चर व दो घंटे तक मारपीट की गई। डिप्टी एसपी शिवकुमार भारद्वाज ने गंभीर जातिसूचक गालियां देते हुए उसका अपमान किया। राजू का आरोप है कि जब उसने पीने का पानी मांगा तो डिप्टी एसपी ने उसके चेहरे पर पेशाब कर दिया। पीडि़त ने दावा किया कि उसे छोडऩे की एवज में विधायक गोपाल मीणा ने उसे जूते चाटने पर मजबूर कर दिया। राजू ने आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई व खुद को व साथियों को सुरक्षा मुहैया कराई कराने की मांग की है।
राजू के साथ मौजूद दो अन्य साथियों शुभम और भवानी शंकर ने बताया कि जब राजू को पुलिसकर्मी उठाकर ले गए थे तो उनके जाकर वीडियो भी बनाया, लेकिन एमएलए गोपाल मीणा के गुर्गों ने उन्हें देख लिया और डिलीट कर दिया। इसके बाद उनके साथ भी मारपीट की गई। राजू व उसके साथियों का आरोप है कि उन पर हुए अत्याचारों की राजस्थान में कहीं सुनवाई नहीं हुई, इसीलिए उन्हें दिल्ली आना पड़ा।
राजू ने बताया गया कि कांग्रेस विधायक गोपाल मीणा और डिप्टी एसपी सहित अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ जांच बैठ गई है। इसलिए उसे लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं और वह डर के मारे अपने गांव भी नहीं जा पा रहा है। उसने कहा कि उसके साथियों द्वारा बनाया वीडियो जरूर डिलीट कर दिया गया है, लेकिन यदि सभी आरोपियों की मोबाइल लोकेशन व कॉल डिटेल निकाली जाए तो सच सामने आ जाएगा। पता चल जाएगा कि घटनास्थल पर कौन-कौन मौजूद था, जो इस मामले में अहम सबूत हो सकता है।
बता दें कि जमवारामगढ़ विधायक गोपाल मीणा, डिप्टी एसपी शिवकुमार भारद्वाज व अन्य पुलिसकर्मियों रामपाल शर्मा, राममिलन मीणा, उदय सिंह, रामकिशोर शर्मा पर कोर्ट के आदेश के बाद धारा 363, 143, 448, 323, 342, 506, 509 और एससी/एसटी एट के तहत 3(1)आर, 3(1)एस, 3(2)(1ए)धाराओं में मामला दर्ज किया गया है।
पूरा मामला पूर्व डीजी नवदीप सिंह और उनकी पत्नी परम नवदीप की जमीन से जुड़ा है। ये लोग मुझ पर दबाव बनाकर जमीन पर कब्जा दिलवाना चाहते थे। मैं पीडि़त को नहीं जानता। इस मामले से मेरा कोई लेना-देना नहीं। आरोप तो कोई भी लगा सकता है। मामले की जांच में दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा। मामले की जांच सीआईडी सीबी भी कर रही है।
-गोपाल मीणा (विधायक जमवारामगढ़)
पुलिस पर लगाए आरोप बेबुनियाद हैं। पूरा मामला वन विभाग की जमीन पर कब्जे से जुड़ा है, जिसे वन विभाग ने अपने कब्जे में लिया है। जिस व्यक्ति ने आरोप लगाए हैं वह राजस्थान पुलिस के बड़े पद से रिटायर हुए एक अधिकारी का मोहरा है, जिसे वे हथियार बनाकर पुलिस को डिमोलाइज करने के काम में ले रहे हैं। आरोप लगाने वालों के खिलाफ पहले से ही गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं और अब पुलिस पर दबाव बनाने की नीयत से ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं। पूरे प्रकरण की तथ्यात्मक रिपोर्ट भी उच्चाधिकारियों को दे दी गई है।
शिवकुमार भारद्वाज (सीओ जमवारामगढ़)