मुख्यमंत्री सलाहकार पर धोखाधड़ी कर मकान हड़पने का आरोप
जयपुर, 12 अप्रैल (ब्यूरो): सीएम सलाहकार और नवलगढ़ से विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा पर एक बार फिर संकट के बादल गहरा गए हैं। उनके खिलाफ राजधानी के एक प्रतिष्ठिïत मनोचिकित्सक की पत्नी ने बेशकीमती मकान पर कब्जा करने का आरोप लगाया है। उसने पुलिस पर विधायक के प्रभाव में आकर कई माह तक रिपोर्ट दर्ज नहीं करने के भी आरोप लगाए, जिसे लेकर पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है। अब महिला की रिपोर्ट को गांधी नगर पुलिस ने मामला जनप्रतिनिधी से जुड़ा होने के कारण फाइल को सीआईडी सीबी पुलिस मुख्यालय भेजा है। पीएचक्यू में उच्चाधिकारियों की मॉनिटरिंग में जांच शुरू की गई है।
जानकारी के अनुसार मनोचिकित्सक शिव गौतम की पत्नी राजश्री गौतम ने सीएम सलाहकार विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा के खिलाफ शिकायत दी है। रिपोर्ट के अनुसार गांधी नगर मार्ग बापू नगर में उसके पति डॉ. शिव गौतम का बेशकीमती मकान है। इस मकान में राजश्री गौतम का भाई द्विजेश शर्मा रहते थे। बुजुर्गावस्था और बीमारी के चलते करीब 5 साल पहले द्विजेश शर्मा की स्मरण और सोचने की शक्ति कमजोर हो गई थी। आरोप है कि विधायक डॉ.राजकुमार शर्मा और राजस्थान यूनिवर्सिटी छात्रसंघ अध्यक्ष रहे उसके भाई डॉ. राजपाल शर्मा के साथ कमल कांत शर्मा व उमेश शर्मा का द्विजेश शर्मा के पास आना-जाना था। आरोप है कि इन्होंने षड्यंत्र रचकर द्विजेश की मौत के बाद मकान में रखे सामान को चुराकर उस पर कब्जा कर लिया।
शोक संदेश निकलवाया
आरोप यह भी है कि 30 जनवरी को द्विजेश शर्मा की मृत्यु के बाद विधायक व अन्य ने अखबारों में शोक संदेश भी जारी करवाया था। शोक संदेश को इस तरह दर्शाया गया कि वे द्विजेश के सगे-संबंधी या रिश्तेदार हों, जबकि इनका दूर-दूर तक द्विजेश से किसी प्रकार का रिश्ता नहीं है। इसी बहाने उक्त लोग मकान पर कब्जा करने में काबिज हो गए। उसने आरोप लगाया है कि कई बाद गांधी नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई, मगर पुलिस हर बार उन्हें टालमटोल कर थाने से रवाना कर देती।
जो खुद को बहन बता रही वो बहन नहीं
आरोपों से घिरे विधायक डॉ. राजकुमार शर्मा बुधवार शाम को मीडिया से रूबरू हुए। उन्होंने राजश्री गौतम की ओर से लगाए आरोपों को बेबुनियाद बताते हुआ कि राजश्री ने द्विजेश को अपना भाई बताया है इनके बीच भाई-बहन का रिश्ता ही नहीं है। जिस भूखण्ड को लेकर आरोप लगाए आचार्य हरिजी और आचार्य द्विजेश ने वर्ष 1982 में खरीदी थी और रजिस्ट्री में इन दोनों को किरायेदार की हैसियत रहना बताया है। विधायक ने आरोप लगाया है कि रजिस्ट्री की जिम्मेदारी डॉ. शिव गौतम पर थी जिसने रजिस्ट्री खुद के नाम करवा ली। मामला विश्वास का होने के कारण आचार्य हरिजी और आचार्य द्विजेश ने ऐतराज नहीं करते हुए अपने खर्चे पर भवन निर्माण करवाया था। बाद में आचार्य द्विजेश ने अपनी मर्जी से इस जमीन को विद्या कल्याणम या सत्यर्षि आचार्य हरि वैदिक शोध संस्थान को देने का संकल्प किया था। इस मामले में आचार्य द्विजेश की ओर से भी वर्ष 2016 में गांधी नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की बात सामने आई है।