जयपुर, 22 मई। जिला उपभोक्ता आयोग क्रम-3 ने उपभोक्ता को लाखों रुपए का बिजली का बिल भेजने के मामले में कहा है कि मीटर रीडर की ओर से की गई गडबडी के लिए उपभोक्ता को दंडित नहीं किया जा सकता। इसके साथ ही आयोग ने उपभोक्ता को भेजे 3 लाख, 42 हजार 724 रुपए के बिल को निरस्त कर दिया है। आयोग ने कहा है कि यदि उपभोक्ता ने कोई राशि जमा कराई है तो वह 12 फीसदी ब्याज सहित लौटाई जाए। इसके अलावा आयोग ने मानसिक संताप और परिवाद व्यय के तौर पर जयपुर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड पर तीस हजार रुपए का हर्जाना लगाया है। आयोग ने यह आदेश याकूब अली के परिवाद पर दिए।
परिवाद में कहा गया कि परिवादी के घरेलू बिजली कनेक्शन का सितंबर, 2017 का 17 हजार 347 रुपए का बिल आया था। जिसे परिवादी ने जमा करा दिया। वहीं बिल जमा कराने के बाद भी बिजली कंपनी के कर्मचारियों ने उसे तीन लाख 42 हजार 724 रुपए का बकाया बिल दिया और पांच अक्टूबर तक जमा नहीं कराने पर कनेक्शन काटने की धमकी दी। परिवादी पक्ष की ओर से दिखाई गई जमा रसीद पर भी कर्मचारियों ने ध्यान नहीं दिया। ऐसे में उसे मुआवजा दिलाया जाए।
इसका विरोध करते हुए बिजली कंपनी की ओर से कहा गया कि परिवादी ने मीटर रीडर से मिलीभगत कर हर बार वास्तविक यूनिट से कम का बिल जमा कराया। कंपनी की ओर से पांच जुलाई को जब मीटर उतारा गया था तो उसका डिसप्ले आउट था। वहीं जब इसका बिलिंग डाटा रिपोर्ट के अनुसार जांच करने पर रीडिंग 55 हजार 66 मिली। जबकि परिवादी को कुल 9568 यूनिट के बिल ही जारी हुए थे। ऐसे में मासिक औसत निकाल कर 55 हजार 66 यूनिट में से 44 हजार 564 यूनिट का बिल जारी किया गया था। परिवादी ने बिजली कर्मचारी से मिलीभगत कर वास्तविक राशि का भुगतान नहीं किया। ऐसे में परिवाद को खारिज किया जाए। दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने बिजली बिल को निरस्त कर बिजली कंपनी पर हर्जाना लगाया है।