डॉक्टर्स की कांफ्रेंस में किडनी ट्रांसप्लांटेशन, गुर्दा रोग एवं मेडिकल पहलुओं पर चर्चा

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अब पेट के कैंसर का अंतिम स्टेज पर
भी नवीनतम तकनीक CRS + HIPEC द्वारा इलाज संभव- डॉ. संदीप जैन

– 60 से अधिक डॉक्टर्स रहे उपस्थित

कोटा, 28 सितम्बर :फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल जयपुर एवं एसोसिएशन ओफ़ फिजिशियन ऑफ इंडिया कोटा चैप्टर द्वारा आज डॉक्टर्स की कांफ्रेंस होटल कन्ट्री इन में आयोजित की गई। कांफ्रेंस में फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, जयपुर के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. संदीप जैन ने रीसेंट एडवांसेज इन गैस्ट्रो सर्जरी एवं वरिष्ठ किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी एवं मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुसूदन पाटोदिया व किडनी ट्रांसप्लांट फिजिशियन एवं गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. राधिका गोविल ने किडनी ट्रांसप्लांटेशन में सर्जिकल एवं मेडिकल पहलुओं पर चर्चा की।

कांफ्रेंस में एसोसिएशन ओफ़ फिजिशियन ऑफ इंडिया कोटा चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. मनोज सलुजा, सचिव डॉ धर्मेन्द्र अजमेरा सहित 60 से अधिक डॉक्टर्स उपस्थित रहे।
डॉ संदीप जैन ने पेट की बीमारियों की सर्जरी में काम आने वाली नई-नई तकनीकी के बारे में चर्चा की, प्रमुखतया से किस तरह से दूरबीन द्वारा पेट की बीमारियों का इलाज किया जाता है। डॉ. जैन ने बताया की अब पेट के कैंसर का अंतिम स्टेज पर भी नवीनतम तकनीक CRS + HIPEC द्वारा इलाज संभव है। उन्होंने कहा की अब दूरबीन द्वारा गोल ब्लेडर और हर्निया का इलाज बिना चीरे के निशान के नाभी द्वारा एक ही छेद से किया जा सकता है। डॉ. संदीप जैन ने पेट के कैंसर जैसे लिवर, पैनक्रियाज, गॉलब्लैडर,फूड पाइप, पेट, कोलोन, बेरिएट्रिक और मेटाबोलिक सर्जरी, की होल सर्जरी, प्रीऑपरेटिव सर्जरी जैसी कई पेट की समस्याओं व सर्जरी के बारे में विस्तार से बताया।

वरिष्ठ किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी एवं मूत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. मधुसूदन पाटोदिया ने किडनी ट्रांसप्लांटेशन में सर्जिकल पहलुओं जैसे किडनी ट्रांसप्लांट सर्जरी में किस तरह से लेप्रोस्कोपिक तकनीक काम में ली जाती है, सर्जरी में किन-किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए, थिएटर में क्या क्या सावधानिया रखनी चाहिए, मरीज को इन्फेक्शन से बचाने के लिए किस प्रकार के इंटरनेशनल प्रोटोकॉल को फॉलो करना चाहिए इत्यादि विषयो पर चर्चा की वही वरिष्ठ किडनी ट्रांसप्लांट फिजिशियन एवं गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. राधिका गोविल ने बताया की किडनी ट्रांसप्लांट जीवन की बेहतर गुणवत्ता प्रदान करता है क्योंकि अब मरीज डायलिसिस से बंधे नहीं हैं। मरीजों को काम पर लौटने, अधिक स्वतंत्र रूप से यात्रा करने और आहार व तरल पदार्थ का प्रतिबंध न्यूनतम रहता है जिससे वे एक बेहतर जीवन व्यतीत कर पाते है। इसके अलावा अधिकांश मरीजो को ट्रांसप्लांट के बाद अधिक ऊर्जा महसूस होती है। डॉ. गोविल ने ब्लड ग्रुप के मैच ना होने पर भी अत्याधुनिक तकनीक से ट्रांसप्लांट सम्भव है‌ की बात कही।
इससे पूर्व कांफ्रेंस में एसोसिएशन ओफ़ फिजिशियन आफ इंडिया कोटा चैप्टर के अध्यक्ष डॉ. मनोज सलुजा, सचिव डॉ धर्मेन्द्र अजमेरा ने सभी डॉक्टर्स को बुके देकर सम्मान कर सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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