विद्यापीठ में विराट हास्य कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

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रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं—
रिमझिम बारीश के बीच खूब जमा कवि सम्मेलन का रंग

उदयपुर, 14 सितम्बर(ब्यूरो): जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय की ओर से गुरूवार को प्रतापनगर स्थित आईटी सभागार में आयोजित विराट हास्य कवि सम्मेलन में अलीगढ़ के विष्णु सक्सेना ने अपने गीत व गजलों से उपस्थित श्रोताओं को मंत्र मूग्ध कर दिया।
कवि सम्मेलन का शुभारंभ कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत, उदयपुर ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीणा, बीएन संस्थान के प्रो. महेन्द्र सिंह आगरिया, मोहब्बत सिंह रूपाखेड़ी, वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार, शक्ति सिंह कारोही, राजेन्द्र सिंह ताणा एवं आमंत्रित कवियों ने मॉ सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्ज्वलन व जबलपुर की श्रृंगार कवयित्री सुश्री मणिका दुबे की ईश वंदना के साथ हुआ।
विष्णु सक्सेना ने गीत व गजल सुनाते हुए कहा कि रेत पर नाम लिखने से क्या फायदा, एक आई लहर कुछ बचेगा नहीं, तुमने पत्थर सा दिल हमें कह तो दिया , पत्थरों पर लिखोगे मिटेगा नहीं, मैं तो पतझड़ था तो फिर क्यों निमंत्रण दिया, ऋतु बसंती को तन पर लपेटे हुए, आस मन मे लिए, प्यास तन में लिए , कब शरद आई पल्लु समेटे हुए, तुमने फेरी निगाहें, अंधेरा हुआ, ऐसा लगता है सूरज उगेगा नहीं गाकर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया।
प्रारंभ में कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने आमंत्रित कवियों व आमजन का स्वागत करते हुए कहा कि तकनीक युग में व्यक्ति हंसना भूल गया है। जीवन में कार्य के साथ स्वस्थ मनोरंजन भी जरूरी है इसी को ध्यान में रखते हुए कार्यकर्ताओं में नई उर्जा का संचार करने के उद्देश्य से हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
हास्य कवि के सुत्रधार एवं संचालक राव अजातशत्रु ने मेवाड की आन बान शान पर अपनी कविता पाठ करते हुए कहा कि क्रांति संस्कारों की धरती, गोरा, बादल, राजस्थान, वीर शिरोमणी राजस्थान, मीठी बोली राजस्थान, पर भाव विभोरे कर दिया।
राजनीति पार्टियों पर बिना नाम लिये अपनी कविता के माध्यम से कटाक्ष करते हुए कहा कि दिल्ली भी हमारी अब पंजाब भी हमारा , धरने पर धरना लगा कर मार डालूंगा, मुफ्त में मिलेगा पानी, दवाई, भारत को श्रीलंका बना कर मार डालुंगा,खुले आम सड़कों पर प्यार न करेगा कोई, रोमियों को थाने पहुंचा कर मार डालुंगा, माफियाओं का काल हूॅ मैं ऐसा बुलडोजर चलाकर मार डालूंगा।
संकट पड़ा यदि तो सलवार पहन लूंगा, स्वदेशी हूॅ विदेशी चबा कर मार डालुंगा, शत्रुओं से कराउंगा कपाल भाति, एक आंख दबाकर मार डालुंगा।
खाउंगा न खाने दूंगा, न कहीं दबाने दूंगा, भाईयों और बहनों सूना कर मार डालुंगा, वनवास भेज दुंगा राम के विरोधियों को, राजजी का मंदिर बना कर मार डालुंगा
जहॉ भी मैं प्रचार करने जाउंगा, अपनी ही पार्टी मिटा कर मार डालुंगा, खुद ही तबाही पर चिंतन शिविर होगा, बैंकांग मेें छुटिट्यॉ मना कर मार डालुंगा … सुन सभी ने खूब ठहाके लगाये।
जयपुर के हास्य कवि केसरदेव मारवाड़ी ने अपनी मारवाड़ी कविता से श्रोताओं को खुब ठहाके लगवाये।
कवयित्री सुश्री मणिका दुबे श्रृंगार रस की कविता सुनाते हुए कहा कि तुम हंसते हो तो लगता है, हंसता है संसार, तुम्हे कैसे न करते प्यार। तुमको देखू तो जीने की ओर लगन हो जाये, तुमको देखू तो मन ओर मगन हो जाये, तुम उतने पावन, जितने पावन गंगा की धार…
कोई सौदा ,कोई बंधन नहीं है, हमारी राह में फिसलन नहीं है, खता के नाम की सोतन है दूनिया, वफा के नाम की दुल्हन नहीं है।
उन्नाव के गीत व मुक्तक गायक स्वयं श्रीवास्तव ने अपनी कविता में कहा कि जिस रास्ते पर चल रहे उस रास्ते छल पडे, कुछ देर के लिए मेरे माथे पर बल पडे, हम सोचने लगे कि यार लोट चले क्या, फिर सोचा यार छोड, चल पडे तो चल पडे….। अतिथियों द्वारा आमंत्रित कवियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित कर उनका स्वागत किया।
इस अवसर पर रजिस्ट्रार डॉ. पारस जैन, प्रो. सरोज गर्ग, प्रो. जीवन सिंह खरकवाल, परीक्षा नियंत्रक डॉ. पारस जैन, डॉ. युवराज सिंह राठौड़, डॉ. हीना खान, डॉ. नीरू राठौड़, डॉ. बलिदान जैन, डॉ. अमी राठौड, डॉ. सुनिता मुर्डिया, नासिर, डॉ. अवनीश नागर, डॉ. सुनील चौधरी सहित विद्यापीठ के डीन, डायरेक्टर, विधार्थी एवं शहर के गणमान्य नागरिकों ने कवि सम्मेलन का लुफ्त उठाया।

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