जयपुर, 2 सितंबर। राजस्थान हाइकोर्ट ने न्यायपालिका पर बयानबाजी को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से तीन अक्टूबर तक जवाब तलब किया है। अदालत ने सीएम गहलोत से पूछा है कि उन्होंने क्यों और किस आधार पर यह बयान दिया है। जस्टिस एमएम श्रीवास्तव और जस्टिस आशुतोष कुमार की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट में वकालत करने वाले पूर्व न्यायिक अधिकारी शिवचरण गुप्ता की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए। जनहित याचिका में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ स्वप्रेरणा से आपराधिक अवमानना की कार्रवाई करने की गुहार की गई है।
जनहित याचिका में मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने न्यायपालिका के खिलाफ बयानबाजी की है। सीएम गहलोत ने न्यायपालिका में गंभीर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने सुना है कि कोर्ट के फैसले तक वकील लिखते हैं और वे जो लिखकर लाते हैं, वहीं फैसला आता है। चाहे निचली न्यायपालिका हो या उच्च, हालात गंभीर हैं। देशवासियों को इस संबंध में सोचना चाहिए।
जनहित याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री का यह बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला और प्रतिष्ठा को गिराने वाला है।
याचिका में कहा गया की गहलोत ने न सिर्फ न्यायिक अधिकारियों बल्कि वकीलों की प्रतिष्ठा को नीचा दिखाने वाला बयान दिया है। याचिका में गुहार की गई है कि जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए स्वप्रेरणा से अदालती अवमानना को लेकर सीएम अशोक गहलोत के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई अमल में लाए। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने सीएम गहलोत से जवाब तलब किया है।
दो अन्य याचिका दायर- वहीं दूसरी ओर रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर की ओर से अधिवक्ता डॉ. महेश शर्मा व अधिवक्ता हर्षिता शर्मा ने सीएम गहलोत के खिलाफ आपराधिक अवमानना याचिका पेश की है। वहीं अधिवक्ता मनु भार्गव व सौरभ सारस्वत ने भी इसी मुद्दे पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका पेश की है। हाईकोर्ट अगले सप्ताह इन याचिकाओं पर सुनवाई कर सकता है।