-राजधानी के युवा वैज्ञानिक तन्मय बंसल चन्द्रयान मिशन 2 व 3 में रहे शामिल
जयपुर, 25 अगस्त (जितेेन्द्र सिंह रोटवाड़ा): मिशन चन्द्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद देशवासी हमारे वैज्ञानिकों को बधाई दे रहे हैं, वहीं लैंडिंग के बाद भी उनकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है। ऐसे में अब विक्रम से चन्द्रमा की सतह पर उतरे रोवर-प्रज्ञान की मॉनीटरिंग का जिम्मा जयपुर के युवा वैज्ञानिक तन्मय बंसल संभाल रहे हैं।
राजस्थान की माटी के लाल तन्मय की इस सफलता पर उनके माता-पिता को बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है। तन्मय की इस सफलता ने उनके माता-पिता को ही नहीं बल्कि पूरे राजस्थान को गौरवान्वित किया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा में सहायक महाप्रबंधक के पद पर कार्यरत तन्मय बंसल के पिता आलोक बंसल ने बताया कि उनका परिवार मूलत: जयपुर से ही है और बापू नगर क्षेत्र में निवास करता है। तन्मय की स्कूली शिक्षा जयपुर में ही हुई है और यहां से कक्षा 12 तक पढ़ाई करने के बाद उन्होंने इंडियन स्कूल ऑफ टेक्नोलोजी, त्रिवेन्द्रम में दाखिला ले लिया। इसके बाद वहीं से वे इसरो में भर्ती हो गए। तन्मय को इसरो में काम करते हुए 8 वर्ष बीत गए हैं। इस दौरान वे मिशन चन्द्रयान-2 का भी हिस्सा बने और उसकी विफलता के बाद पूरी टीम ने मिलकर दोबारा मेहनत की और मिशन चन्द्रयान-3 को सफल बनाया।
विदेश की नौकरी ठुकराई
तन्मय के इसरो में काम करने के दौरान ही यूरोपियन कंट्री में सलेक्शन हो गया, लेकिन माटी के लाल ने यह नौकरी यह कहते हुए ठुकरा दी कि उसे यहीं रहकर देश के लिए कुछ करना है। मिशन चन्द्रयान के लिए वे लंबे समय से मेहनत कर रहे थे और जब यह मिशन शुरू हुआ तो कई रातें ऐसी भी बीती जब उनकी पूरी टीम पूरी रात काम करती रही और कोई नहीं सोया। इतना ही नहीं जिस शाम विक्रम चन्द्रमा पर उतरा तब भी वह पूरी रात काम करते रहे और उसमें से निकले प्रज्ञान की पूरी मॉनीटरिंग का जिम्मा संभाल लिया। अब प्रज्ञान की हर हरकत पर नजर रखी जा रही है।
बता दें कि तन्मय के परिवार में माता-पिता के अलावा एक छोटा भाई चिन्यम बंसल भी है। चिन्मय भी बंगलुरू में ही एमएनसी में कार्यरत है। 31 वर्षीय तन्मय ने अभी तक शादी नहीं की है और अपना अधिकांश समय इसरो में ही बिताते हैं। पिता आलोक बंसल ने बताया कि मिशन चन्द्रयान की सफलता को लेकर तन्मय आश्वस्त थे, लेकिन जब विक्रम की लैंडिंग होनी थी उस दिन वे काफी तनाव में रहे और जब तक चन्द्रमा पर सफल लैंडिंग नहीं हुई तब तक तन्मय ने परिवार में भी किसी से बात नहीं की।
यह काम करेगा प्रज्ञान
चन्द्रमा की सतह पर उतरने के बाद प्रज्ञान ने 8 मीटर तक चहल कदमी भी की है और अब लगातार चन्द्रमा से तस्वीरें भेज रहा हैं। दो हफ्तों तक छह पहियों पर चलने वाला रोवर चंद्रमा की सतह पर विभिन्न प्रयोग करेगा। चन्द्रमा के दक्षिण में दो हफ्ते तक दिन रहेगा और उसके बाद रातें शुरू हो जाएगी। इस कारण रोवर प्रज्ञान दिन में काम करेगा। रात के समय चन्द्रमा पर-250 डिग्री तक ठंड पड़ती हैं। इस दौरान रोवर का काम करना संभव नहीं होगा। चंद्रमा का यह क्षेत्र जमे हुए पानी वाला क्षेत्र माना जाता है, जो ऑक्सीजन, ईंधन और पानी का स्रोत हो सकता है। ऐसे में प्रज्ञान से मिलने वाली जानकारी के जरिए ही चन्द्रमा पर खनिज, माटी तथा अन्य स्त्रोतों का पता चल सकेगा।