लोकसभा चुनाव से पहले मोमेंटम गेन करने के लिए कांग्रेस नेता राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा निकाल रहे हैं लेकिन दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन में शामिल दल खुलेआम कांग्रेस के बिना चुनाव लड़ने का ऐलान कर रहे हैं। बीजेपी नेतृत्व वाली एनडीए एक ओर 2024 में मिशन 400 सीट के साथ अपने तैयारियों को अंजाम दे रही है तो दूसरी ओर विपक्षी दलों द्वारा बनाये गए इंडिया गठबंधन के बीच घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी फ़िलहाल भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर निकले हैं। यह यात्रा बिहार, बंगाल समेत कई राज्यों से होकर गुजरेगी। कल राहुल की यात्रा बंगाल में पहुंचने वाली है लेकिन उससे ठीक पहले सीएम ममता बनर्जी ने कांग्रेस को झटका देते हुए ऐलान कर दिया कि आगामी लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी टीएमसी अकेले चुनाव लड़ेगी। ममता के अलावा इंडिया गठबंधन में शामिल अन्य दल के प्रमुख भी कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं। ऐसे में सवाल उठने लगे हैं कि क्या चुनाव से पहले राहुल जो मेहनत कर रहे हैं उसमें सफल होंगे? क्या राहुल पीएम की कुर्सी तक पहुंचेंगे?
कांग्रेस के लिए इन राज्यों में मुसीबत
बिहार, यूपी, बंगाल और महाराष्ट्र को मिलाकर लोकसभा की कुल 210 सीट है। यहां बीजेपी की स्थिति कांग्रेस से काफी बेहतर है। पिछले कुछ बार के चुनावी नतीजों को देखें तो इन चारों राज्यों में कांग्रेस की स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है। कुछ वर्ष पहले ही बंगाल में बीजेपी तीसरे या चौथे नंबर की पार्टी थी, एक-एक सीट जितने के लिए बीजेपी यहां तरसती थी लेकिन आज यहां बीजेपी ममता की पार्टी को कड़ा टक्कर दे रही है।
यूपी में कांग्रेस 5% वोट भी हासिल करने की हालात में नहीं है। अखिलेश यादव जयंत चौधरी के साथ मिलकर सीट फाइनल कर चुके हैं। बसपा अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। 2019 में कांग्रेस की परंपरागत सीट अमेठी भी राहुल नहीं जीत पाए। ऐसे में यह कहना मुश्किल है कि कांग्रेस यहां की 80 सीट में एक भी निकाल पाए।
बात बिहार की करें तो यहां नीतीश कुमार की पार्टी जदयू 17 सीटों पर दावा कर रही है जो विधायकों के हिसाब से यहां की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। वहीं राजद जो सबसे बड़ी पार्टी है वह भी इससे कम उम्मीदवार उतारने को तैयार नहीं होगी। यहां सीपीआई भी पांच सीट लेने का दावा कर रही है। ऐसे में यहां भी कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही है। क्योंकि बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष 8 सीट पर उम्मीदवार उतारने का ऐलान पिछले वर्ष दिसंबर में ही कर चुके हैं।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे गुट के बड़े नेता संजय राउत कांग्रेस को शून्य से शुरुआत करने की नसीहत दे चुके हैं लेकिन कांग्रेस यहां की आधी सीट पर लड़ना चाहती है। ऐसे में उद्धव गुट और शरद पवार के सामने कांग्रेस कितना तोलमोल कर पाएगी इसके लिए इंतजार करना होगा। अगर कांग्रेस इन चार राज्यों में अच्छा प्रदर्शन नहीं करती है तो उनकी पार्टी राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने का जो सपना देख रही है वो इस लोकसभा चुनाव में पूरी नहीं हो पाएगी।
वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने आज ऐलान किया कि आम आदमी पार्टी अगले लोकसभा चुनाव में अकेले उतरेगी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किए बिना राज्य की सभी 13 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। क्लीन स्वीप की भविष्यवाणी करते हुए, मान ने कहा, ”2024 के लोकसभा चुनावों में यह 13-0 होने जा रहा है। ‘आप’ पंजाब की सभी 13 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने के लिए तैयार है और देश में हीरो बनकर उभरेगी।”
इन राज्यों में मिल सकती है सफलता
इन राज्यों भले ही कांग्रेस को साथी दलों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल पा रहा है लेकिन भारत के दक्षिणी राज्यों में पार्टी की स्थिति अच्छी है। कर्नाटक और तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार है ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है यहां पार्टी विपक्षी दलों का सूपड़ा साफ कर देगी। वहीं तमिलनाडु में स्टालिन के साथ कांग्रेस सामंजस्य बैठा लेती है तो यहां भी सफलता मिल सकती है। केरल में कांग्रेस की स्थिति अच्छी है और आंध्र प्रदेश में सीएम जगन मोहन की बहन शर्मीला के पार्टी में आने से कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार हुआ है।