हर वर्ष फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर फाल्गुन मास की पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक के समय को होलाष्टक (Holashtak 2023) कहा जाता है। होलाष्टक को अशुभ दिनों में गिना जाता है और इन दिनों किसी भी शुभ कार्य के करने पर रोक होती है। लेकिन आपके दिमाग में सवाल उठ सकता है कि होली के पहले प्रारंभ होने वाले होलाष्टक अशुभ क्यों माने जाते हैं.. इस सवाल का जवाब बताा रही है ज्योतिषी और धर्म ग्रंथों के जानकार पं. संगीता शर्मा ।
होलाष्टक को क्यों माना जाता है अशुभ
ज्योतिषी संगीता शर्मा के अनुसार होली से पहले की आठ तिथियों यानी फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी नवमी दशमी एकादशी द्वादशी त्रयोदशी चतुर्दशी और पूर्णिमा को अशुभ इसलिए माना गया है, क्योंकि इसमें भगवान विष्णु के भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए तरह-तरह की यातनाएं दी गईं। दूसरा कारण यह भी है कि भगवान शिव के क्रोध से जब कामदेव भस्म हो गए थे, तब उनकी पत्नी रति ने इन आठ तिथियों में पश्चाताप किया था।
होलाष्टक में क्या ना करें
1. होलाष्टक में विवाह कार्य वर्जित है।
2. होलाष्टक की समय बहू या बेटी की विदाई नहीं करते हैं।
3. होलाष्टक की इन तिथियों में शादी का रिश्ता भी पक्का नहीं करते हैं जैसे सगाई इत्यादि के कार्यक्रम भी नहीं होते हैं।
4. होलाष्टक में गृह प्रवेश, मुंडन या कोई भी शुभ संस्कार नहीं होते हैं।
5. होलाष्टक के समय आपको कोई भी नया कार्य प्रारंभ नहीं करना चाहिए।
होलाष्टक में क्या करें
इस समय में रंगभरी एकादशी यानी आमलकी एकादशी और प्रदोष व्रत पड़ेगा। इसलिए होलाष्टक में आप व्रत रखें और पूजन करें। क्योंकि व्रत और पूजा ही व्यक्ति को अशुभ प्रभावों से बचाते हैं। होलाष्टक 2023 में इन देवी देवता की पूजा व्यक्ति को संकट से उबारेगी।
1. फाल्गुन पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा अर्चना करें।
2. फाल्गुन पूर्णिमा पर स्नान और दान करके पुण्य को प्राप्त करें।
3. पं. अरविंद तिवारी के अनुसार होलाष्टक में ग्रह उग्र अवस्था में होते हैं, अतः उनकी शांति के उपाय करें। आप चाहे तो उनके मंत्रों का जाप कर सकते हैं या उनके निमित्त हवन दान पूजा इत्यादि कर सकते हैं।