परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं करने पर रोक नहीं सकते सेवा परिलाभ-हाईकोर्ट

Share:-


जयपुर, 24 अक्टूबर। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं करने के आधार पर कर्मचारी के सर्विस रिकॉर्ड में प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की जा सकती और ना ही उसके सेवा संबंधी परिलाभों को रोका जा सकता है। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता के सर्विस रिकॉर्ड में की गई प्रतिकूल टिप्पणी के आदेश को रद्द कर दिया है। अदालत ने आयुर्वेद विभाग के प्रमुख सचिव व निदेशक को निर्देश दिए कि वे याचिकाकर्ता को तीन महीने में चयनित वेतनमान एवं सभी सेवा परिलाभ अदा करें। जस्टिस अनूप ढंड ने यह आदेश रिटायर आयुर्वेद कंपाउंडर कृष्णकांत तिवारी की याचिका पर दिए।

याचिका में अधिवक्ता विजय पाठक ने बताया कि याचिकाकर्ता आयुर्वेद विभाग में कंपाउंडर के पद पर कार्यरत था। इस दौरान वर्ष 1995 में परिवार नियोजन का तय लक्ष्य पूरा नहीं करने पर विभाग के अफसरों ने उसके सर्विस रिकॉर्ड में टिप्पणी कर दी। इस संबंध में उसने विभागीय अफसरों को प्रतिवेदन दिया, लेकिन उन्होंने भी टिप्पणी को बहाल रखा। वहीं 1998 में उसे मिलने वाले चयनित वेतनमान के लाभ को भी एक साल के लिए स्थगित कर दिया।

इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कहा कि विभाग ने वर्ष 2004 में परिपत्र जारी कर कर्मचारी के वार्षिक गोपनीय प्रतिवेदन में परिवार नियोजन के लक्ष्य में कमी पर प्रतिकूल टिप्पणी करने से मना भी किया था। इस परिपत्र में कहा गया था कि वार्षिक प्रतिवेदन कर्मचारी की ओवरऑल परफॉर्मेंस के आधार पर ही भरा जाए। याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता को परिवार नियोजन का जो लक्ष्य दिया था, उसे पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति का जबरन परिवार नियोजन नही किया जा सकता। कर्मचारी केवल इसके लिए प्रयास कर सकता है। इसलिए उसे लक्ष्य पूरा नहीं करने पर दंडित नहीं किया जा सकता। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने माना कि केवल परिवार नियोजन का लक्ष्य पूरा नहीं होने के आधार पर ही कर्मचारी के सेवा परिलाभ नहीं रोके जा सकते।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *