हाईकोर्ट सहित प्रदेश की अधीनस्थ अदालतों में लोक अदालत का आयोजन, राजीनामे से लाखों मुकदमों का निस्तारण

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जयपुर, 9 सितंबर। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से शनिवार को साल की तीसरी राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने हाईकोर्ट में लोक अदालत का विधिवत शुभारंभ किया। इस मौके पर जस्टिस अनिल उपमन और जस्टिस गणेश मीणा सहित अन्य न्यायिक अधिकारी मौजूद रहे। इस अवसर पर जस्टिस एमएम श्रीवास्तव ने कहा कि भारतीय संविधान में प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय उपलब्ध कराने का उद्देश्य शामिल किया गया है। ऐसे में न्याय प्रणाली को इस तरह का रूप दिया गया है कि वह मुकदमे की प्रकृति के अनुसार उसके पक्षकारों को न्याय प्रदान करे। कई पक्षकारों के बीच ऐसे सिविल व छोटे आपराधिक प्रकृति के मामले होते हैं, जिन्हें आपसी सहमति से ही सुलझाया जा सकता है। ऐसे में लोक अदालत के माध्यम से ऐसे प्रकरणों को तय किया जाता है, जिससे पक्षकार को सालों तक अदालतों में समय और पैसा खर्च ना करना पडे। लोक अदालत में मुकदमों का निस्तारण करने के लिए प्रदेश भर की अधीनस्थ अदालतों में 494 पीठों का गठन किया गया था। वहीं हाईकोर्ट की जोधपुर स्थित मुख्यपीठ व जयपुर पीठ में कुल नौ पीठ सुनवाई के लिए गठित की गई थी। प्राधिकरण के सदस्य सचिव प्रमिल कुमार माथुर ने बताया कि लोक अदालत में राजीनामा हो सकने वाले फौजदारी प्रकरणों के अलावा चैक अनादरण, धन वसूली, बिजली-पानी, तलाक को छोडकर अन्य पारिवारिक प्रकरण, भूमि मुआवजा और सेवा संबंधी मामलों को सूचीबद्ध किया गया था। लोक अदालत के तहत एमएसीटी कोर्ट जयपुर के पीठासीन अधिकारी शंकर लाल गुप्ता ने मर्चेंट नेवी में कैप्टन की मौत के मामले में करीब तीन करोड पचास लाख रुपए का अवार्ड जारी किया।

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