बीकानेर में वर्चुअल हाईकोर्ट बैंच की घोषणा के बाद वकीलों में आक्रोश, सोमवार को बहिष्कार करेंगे
उदयपुर, 19 अगस्त(ब्यूरो): केन्द्रीय विधि मंत्री अर्जुनलाल मेघवाल के बीकानेर में प्रदेश की पहली वर्चुअल हाईकोर्ट बैंच खोले जाने की घोषणा से उदयपुर के वकील आक्रोशित हो उठे। उनका कहना है कि पिछले 42 सालों से वह आंदोलन कर रहे हैं। पहला हक उनका है। भले ही उन्हें अपने गले कटवाने पड़ें, किन्तु वह हक लेकर रहेंगे। उदयपुर और बांसवाड़ा के वकीलों ने सोमवार को अदालती कामकाज के बहिष्कार की घोषणा की है।
मेवाड़—वागड़ हाईकोर्ट संघर्ष समिति, जिला हाईकेार्ट बैंच संघर्ष समिति और बार एसोसिएशन उदयपुर के अधिवक्ताओं ने शनिवार शाम पत्रकार वार्ता में इसके लिये चाहे अधिवक्ताओं को अपने गले कटवाने पड़ें तो भी वह इस अधिकार के लिये पीछे नही हटेंगे। केन्द्रीय विधि मंत्री के उदयपुर की अनदेखी किए जाने से उन्हें गहरा धक्का लगा है। सोमवार को उदयपुर जिले में नहीं, उदयपुर और बांसवाड़ा संभाग के सभी अदालतों में संपूर्ण रूप से बहिष्कार किया जाएगा। उस दिन सभी जिलों में वकीलों का प्रदर्शन किया जाएगा और प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे।
जरूरत पड़ी तो करेंगे अनिश्चित काल तक बहिष्कार
मेवाड़—वागड़ हाई कोर्ट बेंच संघर्ष समिति के महासचिव रामकृपा शर्मा, संयोजक रमेश नंदवाना एवं बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश मोगरा ने आदिवासी क्षेत्र के लोगों को सस्ता एवं सुलभ न्याय के लिए पिछले 42 साल से आंदोलन किया जा रहा है। यदि उनकी मांग पर अनदेखी की गई तो अनिश्चित काल के लिए अदालती कामकाज के बहिष्कार का निर्णय भी लिया जा सकता है। हाईकोर्ट बेंच समिति के महासचिव रामकृपा शर्मा, मनीष शर्मा, भरत कुमार वैष्णव, प्रवीण खण्डेलवाल, महेन्द्र नागदा, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश मोगरा को उदयपुर और बांसवाड़ास संभाग के अलग अलग जिलों के अधिवक्ताओं से सम्पर्क कर रणनीति बनाने के दायित्व सौंपे हैं। ।
उदयपुर सांसद बोले—हमारा हक पहले, विधि मंत्री से करेंगे बात
वकीलों की शनिवार को हई बैठक में उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट बैंच उदयपुर और बांसवाड़ा के लोगों की आवश्यक है। आदिवासी बहुल इस संभाग के आदिवासी बेहद गरीब हैं। वह इस संबंध में विधि मंत्री से बात करेंगे और आग्रह करेंगे कि उदयपुर में बीकानेर से पहले हाईकोर्ट की वर्चुअल बैंच खोली जाए। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होता तो वह वकीलों तथा जनता के साथ खुद भी आंदोलन में शामिल हो जाएंगे। खुद धरने पर बैठेंगे।
बुधवार को नई दिल्ली बुलाया
सांसद अर्जुनलाल मीणा ने बताया कि उन्होंने विधि मंत्री मेघवाल ने बात की। इस संबंध में बातचीत के लिए उदयपुर से वकीलों के प्रतिनिधिमंडल को आगामी बुधवार को नई दिल्ली बुलाया है। वे अपनी बात विधि मंत्री के समक्ष रखेंगे और संभावना जताई जा रही है कि उनकी मांग पूरी होगी।
42 साल से चल रहा आंदोलन
आजादी से पहले उदयपुर में हाईकोर्ट की बैंच थी। जिसे बाद में खत्म कर दिया गया। पिछले 42 साल से उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की मांग को लेकर स्थानीय वकील आंदोलनरत है। हर माह की सात तारीख को अदालती कामकाज ठप रहता है। हाईकोर्ट बैंच के लिए गठित संघर्ष समिति के संयोजक रमेश नंदवाना बताते हैं कि साल 2009 में हाईकोर्ट बैंच खोले जाने के लिए गंभीरता से पहल शुरू हुई थी लेकिन जोधपुर के वकीलों ने विरोध शुरू कर दिया। उसके बाद बीकानेर संभाग के वकीलों को भी उदयपुर की हाईकोर्ट बैंच खोले जाने के विरोध में शामिल कर लिया। इस तरह उदयपुर में खुलने वाली हाईकोर्ट बैंच की पहल शुरू होने से पहले खत्म हो गई। उन्होंने कहा कि विधि मंत्री की घोषणा उदयपुर के लोगों का अपमान है। आदिवासी क्षेत्र के लोगों की जरूरत सस्ता एवं सुलभ न्याय के यह विपरीत है। जरूरत पड़ने पर हम गला कटवाने के पीछे नहीं रहेंगे। उन्होंने कहा कि हम संवैधानिक तरीके से आंदोलन करेंगे। हमारा मकसद यहां की गरीब एवं जनजाति लोगों के लिए न्याय दिलाना है।
राज्यपाल कटारिया से की बात
उदयपुर बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ.प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि इस संबंध में उन्होंने भाजपा के दिग्गज नेता रहे और वर्तमान में असम के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया से बात की। उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह विधि मंत्री से बात करेंगे और उदयपुर में भी बीकानेर के साथ वर्चुअल हाईकेार्ट बैंच खोले जाने के लिए जोर देंगे।
2023-08-19