भारत सरकार भी करेगी हवाना सिंड्रोम की जांच:झींगुर जैसी आवाजें सुनकर बीमार होते हैं लोग; रहस्यमयी बीमारी या गुप्त हथियार

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अमेरिका का एक पड़ोसी देश है क्यूबा। अन्य कई पड़ोसियों की तरह क्यूबा और अमेरिका के बीच भी कई दशकों से ठनी हुई है। 2014 में बराक ओबामा के शासन में दोनों देशों के बीच रिश्ते बहाल हुए, लेकिन महज दो साल में ही अमेरिका ने लगभग सभी डिप्लोमैट्स को वापस बुला लिया।

अधिकारियों को वापस बुलाने के पीछे कोई झगड़ा नहीं, बल्कि कुछ अजीबोगरीब आवाजें थीं। हवाना स्थित दूतावास में आ रही उन आवाजों को सुनकर लोग बीमार पड़ रहे थे। हवाना सिंड्रोम के नाम से मशहूर आवाजें धीरे-धीरे कई देशों में सुनी गईं।

भारत सरकार भी अब इस सिंड्रोम की तहकीकात करेगी। 27 जुलाई को कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि केंद्र सरकार 3 महीने में हवाना सिंड्रोम की संभावनाओं की जांच करे।
हवाना सिंड्रोम में कैसी आवाजें सुनाई देती हैं?
हवाना एम्बेसी में तैनात अमेरिकी डिप्लोमैट्स ने इन आवाजों को एक भनभनाहट, या बर्तनों के रगड़ने पर निकलने वाली या सूअर के चीखने जैसी आवाजें बताया। इन आवाजों का सोर्स पता नहीं चलता था। दोनों हाथों से कान बंद करने पर भी ये आवाजें धीमी नहीं होती थीं।

लंबे वक्त तक ये आवाजें सुनने के बाद लोग बीमार हो गए। उनमें बेहोशी, चक्कर आना, सिर दर्द, उल्टी आने जैसे लक्षण दिखाई दिए। कई लोगों की याददाश्त तक चली गई। 2017 में ऐसे करीब दो दर्जन डिप्लोमैट्स को जांच और इलाज के लिए अमेरिका वापस बुला लिया गया।
हवाना सिंड्रोम की तुलना अमेरिकी साइंटिस्ट एलन एच. फ्रे के जरिए खोजे गए ‘फ्रे इफेक्ट’ से की जा रही है। दरअसल, 1962 में अमेरिकी साइंटिस्ट ने इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एनर्जी पर रिसर्च के दौरान फ्रे इफेक्ट की वजह से झींगुर जैसी आवाजें सुनाई देना, सिरदर्द और उल्टी जैसे लक्षण महसूस किए थे।
सिर्फ एक साल में उज्बेकिस्तान, चीन, जर्मनी, रूस समेत कई देशों में फैला
हवाना की घटना के 1 साल बाद उज्बेकिस्तान के ताशकंद स्थित अमेरिकी एम्बेसी में एक डिप्लोमैट और उनकी पत्नी को ऐसी ही आवाजें सुनाई देने लगीं। उन दोनों को भी देश बुला लिया गया। ऐसी घटनाएं बढ़ने लगीं तो इसकी शुरुआत वाली जगह से जोड़कर इसे हवाना सिंड्रोम नाम से बुलाया जाने लगा।

2018 में चीन के ग्वांगझू में दो अमेरिकी डिप्लोमैट को भी ऐसी आवाजें सुनाई देने लगीं, जो सीधे उनके दिमाग पर असर डाल रही थीं। चीन ने इन सभी आरोपों को निराधार करार दिया।

अब तक दुनिया भर के 130 अमेरिकी अधिकारियों ने हवाना सिंड्रोम की शिकायत दर्ज कराई है। इसमें रूस, पोलैंड, जार्जिया, किर्गिस्तान, जर्मनी और ताइवान जैसे देश शामिल हैं। हाल ही में ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में इस सिंड्रोम के करीब 20 मामले सामने आए हैं।

भारत में 2021 में सामने आया हवाना सिंड्रोम का पहला मामला
जुलाई 2023 तक भारत में हवाना सिंड्रोम का सिर्फ एक मामला दर्ज हुआ है। 2021 में जब पहला मामला भारत में सामने आया था, तब अमेरिकी खुफिया एजेंसी CIA के निदेशक विलियम बर्न्स दिल्ली के दौरे पर थे। इस दौरान उनके साथ दौरे पर आए एक अमेरिकी अधिकारी ने भारतीय डॉक्टरों को हवाना सिंड्रोम के लक्षण महसूस करने की बात बताई थी।

इस मामले के सामने आने के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कहा था कि हमें इस तरह की क्षमता वाले किसी भी हथियार की जानकारी नहीं है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए भारतीय खुफिया एजेंसी के दो अधिकारियों ने एक जैसी बातें कही थीं। भारतीय खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने कहा था कि भारतीय एजेंसी अमेरिकी अधिकारी को निशाना क्यों बनाएगी? आज के समय में वे हमारे सबसे करीबी दोस्त हैं।

वहीं, दूसरे खुफिया अधिकारी का कहना था कि भले ही हम ये मान लें कि भारत आए अमेरिकी अधिकारी पर रूस या चीन ने चुपके से इस तरह के हमले किए हों, लेकिन एक बार ऐसी बात सामने आने के बाद हमारे देश और उनके संबंध खराब हो सकते हैं। जब वो भारत से संबंध खराब नहीं करना चाहते हैं तो ऐसा जोखिम क्यों उठाएंगे?
हवाना सिंड्रोम बीमारी है या कोई गुप्त हथियार
अमेरिका ने हवाना सिंड्रोम के लिए किसी देश पर सीधे तौर पर उंगली नहीं उठाई है और न ही इसके पीछे कोई सटीक कारण समझ में आता है। हवाना सिंड्रोम पर रिसर्च करके कई तरह की थ्योरी पर चर्चा हो रही है। इसमें से कई बेहद अजीब हैं। हम यहां पांच प्रमुख थ्योरी पेश कर रहे हैं…

यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के कंप्यूटर साइंटिस्ट की एक टीम के मुताबिक ये क्यूबा में जगह-जगह लगाए गए सर्विलांस इक्विपमेंट की आवाजें हो सकती हैं। जरूरी नहीं कि ये किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए ही बनाई गई हों। इस थ्योरी पर ज्यादा लोगों ने भरोसा नहीं किया।
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के साइंटिस्ट ने कहा कि ये आवाजें झींगुर की हो सकती हैं। हालांकि झींगुर की आवाज से 2 दर्जन लोग बीमार कैसे हो सकते हैं? ये थ्योरी भी खारिज कर दी गई।
2019 में कनाडा में एक स्टडी हुई। इसमें पाया गया कि डिप्लोमैट्स जो आवाजें सुन रहे हैं वो पेस्टिसाइड के संपर्क में आने की वजह से हो सकती हैं। क्यूबा में जीका वायरस से निपटने के लिए खूब सैनिटाइजेशन होता है। इस पर भी ज्यादा लोगों ने भरोसा नहीं किया।
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि ये आवाजें मास हिस्टीरिया का असर हो सकती हैं। मास हिस्टीरिया का मतलब किसी दूसरे का सुनकर खुद वो चीज महसूस करने लगना। इस पर कुछ लोग भरोसा करते हैं, पर ज्यादातर इस थ्योरी को भी नकारते हैं।
2020 में अमेरिका के नेशनल एकेडमी और साइंसेज ने एक स्टडी जारी की। ज्यादातर लोग इस पर भरोसा करते हैं। स्टडी के मुताबिक हवाना सिंड्रोम की वजह माइक्रोवेव हथियार हो सकते हैं। माइक्रोवेव हथियार ऐसे हथियार होते हैं जो ऊर्जा को ध्वनि, लेजर या माइक्रोवेव के रूप में किसी टारगेट पर मार कर सकते हैं। इस तरह के हथियार सबसे पहले सोवियत यूनियन ने विकसित किए थे। अमेरिका और चीन के पास भी माइक्रोवेव हथियार हैं।
संदेह भरा अमेरिका का रुख
अमेरिका इन सभी थ्योरी को सिर्फ अनुमान बता रहा है। बाइडेन प्रशासन ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेने के संकेत दिए हैं। ऐसे मामलों में पीड़ितों की मदद के लिए एक टास्क फोर्स बनाई गई है। CIA ने ओसामा बिन लादेन की खोज करने वाले एक अनुभवी अधिकारी को इस मामले की तह तक पहुंचने का जिम्मा सौंपा है। दूसरी तरफ क्यूबा के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जांच के बाद ‘हवाना सिंड्रोम’ जैसी किसी चीज को निराधार बताया है।

सवाल ये भी उठ रहा है कि दुनियाभर में सिर्फ अमेरिकी डिप्लोमैट्स ही इसका शिकार क्यों हो रहे हैं? अगर इसके पीछे कोई हथियार या साजिश है तो अमेरिका जांच में दुनिया के अन्य देशों के एक्सपर्ट्स को भी शामिल क्यों नहीं कर रहा है? अब भारत सरकार भी इस पर जांच करेगी। उम्मीद है जल्द ही इस अनसुलझे रहस्य से पर्दा उठेगा।

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